scriptSpecial: इस बंदरगाह के जरिए मोहम्मद गौरी ने समाप्त कर दी थी राजा चन्द्रसेन की सल्तनत, देखें वीडियो | The port used by the Mughal ruler Mohammed Gauri | Patrika News

Special: इस बंदरगाह के जरिए मोहम्मद गौरी ने समाप्त कर दी थी राजा चन्द्रसेन की सल्तनत, देखें वीडियो

locationफिरोजाबादPublished: Jan 21, 2019 11:13:03 am

— मुहम्मद गौरी और फिरोजशाह अपनी सेना और बेश्कीमती सामान को इसी जल बंदरगाह से भेजते थे।

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फिरोजाबाद। वैसे तो फिरोजाबाद का इतिहास सदियों पुराना है। यहां मुगलकालीन शासकों के अलावा अंग्रेजी हुकूमत ने भी राज किया। यातायात मार्ग के कोई साधन न होने के कारण मुगल कालीन शासकों ने यहां बंदरगाह को अपना आने—जाने का रास्ता बनाया। इस बंदरगाह के जरिए मुगलकालीन शासक फिरोजाबाद की बेशकीमती वस्तुओं को दिल्ली ले जाने का काम करते थे। कभी चन्द्रवाड़ के नाम से जाने जाने वाले इस शहर पर मोहम्मद गौरी ने आक्रमण कर सब कुछ तबाह कर दिया और लूटपाट कर इसी रास्ते से दिल्ली गया था।
सुविधा के लिए जल बंदगाह बनाया
जिले में मुगल सम्राट काफी समय तक रहे। इस दौरान उन्होंने रहने, खाने, पीने के अलावा आने जाने के लिए भी मार्ग तय कर रखे थे। आगरा और दिल्ली आने जाने के लिए मुगल शासक जल मार्ग का सहारा लिया करते थे। जिस मार्ग से वह आते जाते थे, उसी मार्ग को मुगलों ने जल बंदरबाह बना दिया था जहां से मुगल अपना सामान इधर से उधर भेजा करते थे। लेकिन अब इस जल बंदरगाह को संरक्षण की दरकार है।
फिरोजशाह और मुहम्मद गौरी रहे फिरोजाबाद में
मुुहम्मद गौरी ने फिरोजाबाद से आगरा और दिल्ली समेत अन्य स्थानों पर जाने के लिए चन्द्रनगर स्थित यमुना किनारे के स्थान को जल बंदरगाह के रूप में स्थापित किया। जहां यमुना में बहुत से समुद्री जहाज मुगल सेना और सामान को ढोने का काम करते थे। फिरोजाबाद के बेश्कीमती सामान को भी मुगलों द्वारा बंदरगाह के जरिए बाहर भेज दिया जाता था। वहीं फिरोजशाह नेे भी फिरोजाबाद को अपना गढ बनाया था। फिरोजशाह यहां काफी लंबे समय तक रूका और इस शहर का नाम ही फिरोजाबाद रख दिया।
बंदरगाह के अभी भी हैं अवशेष
यमुना किनारे बने घाट के पास जल बंदरगाह के अवशेष आज भी हैं। लोगों का कहना है कि पहले यातायात मार्ग के साधन कम थे। राजा महाराजा आने जाने के लिए जलमार्ग का सहारा लिया करते थे। मुगल शासक अपने हाथी घोडों और पूरी सेना को जलमार्ग द्वारा ही लाने ले जाने का काम करते थे।
बंदरगाह को संरक्षित कराने की मांग
शहर की जनता ने जल बंदरगाह को संरक्षित किए जाने की मांग की है जिससे आने वाली पीढी को भी ज्ञात रहे कि फिरोजाबाद में भी कभी जल बंदरगाह हुआ करता था। यमुना किनारे पडे बड़े-बड़े पत्थर आज भी वहां बंदरगाह होने की गवाही दे रहे हैं।
पूर्व मंत्री ने कराया था काम
शहरवासी राहुल गुप्ता कहते हैं कि राजा चन्द्रसेन पर रात के समय में मोहम्मद गौरी ने यहां आक्रमण किया था और उन्हें परास्त कर सबकुछ लूट कर ले गया था। पूर्व वन मंत्री रघुवर दयाल वर्मा जब तक रहे उन्होंने यहां विकास कराया। बंदरगाह को संरक्षित करने के प्रयास किए लेकिन उनकी मौत के बाद पुराना जल बंदरगाह वीरान के रूप में पडा हुआ है। जिसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।
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