scriptSpecial: कभी कृष्णपुर था फिरोजाबाद जिले के इस नगर का नाम, भगवान श्रीकृष्ण और जरासंध के बीच हुए युद्ध का गवाह है यह मंदिर, देखें वीडियो | Krishnpur changing placed Name of Shikohabad Firozabad | Patrika News

Special: कभी कृष्णपुर था फिरोजाबाद जिले के इस नगर का नाम, भगवान श्रीकृष्ण और जरासंध के बीच हुए युद्ध का गवाह है यह मंदिर, देखें वीडियो

locationफिरोजाबादPublished: Mar 05, 2019 12:15:11 pm

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arun rawat

— फिरोजाबाद अपने आप में एक इतिहास को छिपाए हुए है। मोहम्मद गौरी ने कृष्णपुर पर आक्रमण करने के बाद नाम बदल दिया था। उसके बाद दारा शिकोह ने भी बदला था इस नगर का नाम।

chaumukhi mandir

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फिरोजाबाद। उत्तर प्रदेश का फिरोजाबाद जिला अपने आप में ऐतिहासिक यादों को समेटे हुए है। यहां की धरती भगवान श्रीकृष्ण और जरासंध के युद्ध की यादों को आज भी अपने आप में समेटे हुए है। बताया जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण और जरासंध के बीच जितने भी युद्ध हुए वह आज भी लोगों केे लिए एक दास्तां बने हुए हैं। उस समय का गवाह शिकोहाबाद नगर में बना चौमुखी मंदिर भी है।
ये है शिकोहाबाद का इतिहास
फिरोजाबाद मुख्यालय से करीब 14 किलोमीटर दूर स्थित है शिकोहाबाद। इस नगर के अंदर अपने इतिहास को समेटे चौमुखी मंदिर आस्था और श्रद्धा का केंद्र है। इस मंदिर ने कई घटना क्रम देखे हैं भगवान श्री कृष्ण और जरासंध के युद्ध के समय स्थापित चौमुखी मंदिर। जिसे मोहम्मद गोरी के आक्रमण ने तहस नहस कर दिया था आज भी नगर की जनता की विशेष श्रद्धा है।
कृष्णपुर था पहले कभी शिकोहाबाद
फ़िरोज़ाबाद जिले के शिकोहाबाद नगर का नाम पहले कृष्णपुर था। इस स्थान पर भगवान श्रीकृष्ण और जरासंध के बीच सभी युद्ध इसी स्थान पर हुए। तभी भगवान कृष्ण ने चौमुखी मंदिर की स्थापना की थी। यह नगर यदुवंशी राजाओं के राज्य की सीमा हुआ करता था। उनके बाद मुगल शासक मोहम्मद गोरी ने यहां आक्रमण कर दिया था और मंदिर को क्षतिग्रस्त कर दिया लेकिन मंदिर में विराजमान शिवलिंग को छू भी नहीं सका था। मोहम्मद गौरी ने इसका नाम बदलकर मोहम्मदाबाद कर दिया था।
दारा शिकोह के नाम पर हुआ शिकोहाबाद
बताया जाता है कि औरंगजेब से परेशान उसके भाई दारा शिकोह ने यहां भगबंत के बाग में रह कर प्रेम संदेश का पाठ पढ़ाया था। दारा शिकोह की हत्या कर दी गयी उसकी याद में किशनपुर से शिकोहाबाद कर दिया गया। लेकिन बैनामा दस्तावेज में किशनपुर मोहम्दाबाद लिखा जाता है। आज भी इस मंदिर की पौराणिक मान्यता में कोई कमी नही है। यहाँ श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है। इस मंदिर में श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ण होती है।
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