तथ्यों के आधार पर कोर्ट ने वर्ष 2018 के लाइसेंस, पशु पैंठ के संचालन के लिए संतोष उपाध्याय और बृजेश उपाध्याय को जिला पंचायत द्वारा जारी किया गया था। वह पांच दशक से निरंतर पशु पैंठ का लाइसेंस नवीनीकरण कराकर पैंठ का संचालन कर रहे हैं। संचालक अपनी निजी भूमि पर पैंठ लगाते आ रहे हैं। कोर्ट ने ग्राम प्रधान द्वारा दिए गए ग्राम सभा और जिला पंचायत के समझौते के हवाले को लेकर वर्ष 2013 में जिला पंचायत की बैठक में निरस्तीकरण को सही करार दिया और वर्तमान में उस समझौते को अस्वीकार कर दिया।
ग्राम प्रधान द्वारा रिट याचिका और हलफनामा में अलग-अलग आपत्तियां दर्शाई गईं थी। जिसमें सार्वजनिक नीतियों का विरोध होना दर्शाया गया था। कोर्ट ने इसे यह कहते हुए खारिज कर दिया गया कि पशु पैंठ के संचालन के लिए अपनी निजी भूमि पर जिला पंचायत द्वारा जारी किया गया लाइसेंस न हीं काॅन्ट्रक्ट है, न हीं अन्य सार्वजनिक भागीदारी को दर्शाता है। इसलिए जल्द ही लाइसेंस जारी किया जाए।