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इन देशों से आए श्रद्धालु
आयरलैंड, जर्मनी, इटली, आस्ट्रेलिया, चेक रिपब्लिकन और विलायत से करीब तीन दर्जन श्रद्धालु रविवार सुबह करीब 11 बजे मंदिर पहुंचे। आध्यात्मिक गुरू शशि दुबे ने विदेशी श्रद्धालुओं को पूजा अर्चना कराई। मां की महिमा के बारे में बताया। उन्होंने काली, लक्ष्मी, सरस्वती और गायत्री माता की स्तुति की। बाद में आरती उतारकर गलतियों के लिए क्षमा मांगी। उन्होंने परिक्रमा लगाकर जलकुंड के जल से शरीर को पवित्र किया। पूजा अर्चना के समय विदेशी महिलाएं सिर को चुनरी से ढकी हुई थीं।
इन देशों से आए श्रद्धालु
आयरलैंड, जर्मनी, इटली, आस्ट्रेलिया, चेक रिपब्लिकन और विलायत से करीब तीन दर्जन श्रद्धालु रविवार सुबह करीब 11 बजे मंदिर पहुंचे। आध्यात्मिक गुरू शशि दुबे ने विदेशी श्रद्धालुओं को पूजा अर्चना कराई। मां की महिमा के बारे में बताया। उन्होंने काली, लक्ष्मी, सरस्वती और गायत्री माता की स्तुति की। बाद में आरती उतारकर गलतियों के लिए क्षमा मांगी। उन्होंने परिक्रमा लगाकर जलकुंड के जल से शरीर को पवित्र किया। पूजा अर्चना के समय विदेशी महिलाएं सिर को चुनरी से ढकी हुई थीं।
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एक घंटे से भी अधिक समय तक रुके
विदेशी श्रद्धालु करीब एक घंटे से भी अधिक समय तक मंदिर में रहे। मंदिर के महंत स्वामी करुणानंद ने प्रसाद दिया। विदेशी श्रद्धालुओं के साथ आए एनआरआई अनुराग दीक्षित ने बताया कि विदेशी श्रद्धालु करीब 12 साल से यहां देवी के मंदिर पर आ रहे हैं। प्रारंभ में करीब चार विदेशी श्रद्धालु यहां आए थे लेकिन आज इनकी संख्या बढ़कर तीन दर्जन से भी अधिक हो गई। एक साल में करीब चार बार यह श्रद्धालु यहां आकर मां की पूजा अर्चना करते हैं। मां के दर्शनों उपरांत श्रद्धालु बटेश्वर धाम के लिए रवाना हो गया।
एक घंटे से भी अधिक समय तक रुके
विदेशी श्रद्धालु करीब एक घंटे से भी अधिक समय तक मंदिर में रहे। मंदिर के महंत स्वामी करुणानंद ने प्रसाद दिया। विदेशी श्रद्धालुओं के साथ आए एनआरआई अनुराग दीक्षित ने बताया कि विदेशी श्रद्धालु करीब 12 साल से यहां देवी के मंदिर पर आ रहे हैं। प्रारंभ में करीब चार विदेशी श्रद्धालु यहां आए थे लेकिन आज इनकी संख्या बढ़कर तीन दर्जन से भी अधिक हो गई। एक साल में करीब चार बार यह श्रद्धालु यहां आकर मां की पूजा अर्चना करते हैं। मां के दर्शनों उपरांत श्रद्धालु बटेश्वर धाम के लिए रवाना हो गया।