पारंपरिक सोना निवेश से आगे सोचने का समय
हम सब जानते है कि सोने की असली कीमत के अलावा इसपर मेकिंग कॉस्ट, वेस्ट जैसे कुछ खर्च रिकवरेबल नहीं होता है। ऐेसे में सोना स्टोरेज और सेक्योरिटी को लेकर भी हम सबके मन में एक सवाल जरूर उठता है कि, क्या हमें अपनी पंरपरा के अनुसार अब भी फिजिकल सोना खरीदना चाहिए ? ये कितना विवेकपूर्ण है? क्या हमें इसकी जगह किसी दूसरे विकल्प के बारे में सोचना चाहिए ? परंपरागत रूप से, हम भारतीय लोगों की आदत है कि निवेश के लिए हम सोना खरीदते है। सही तरीके से तो, हमारे समाज में सोना खरीदना एक सुरक्षित विकल्प के रूप में देखा जाता है। यदि दूसर शब्दों में कहें तो, भविष्य में आने वाले वित्तीय संकट से बचने के लिए हमारे पास यह एक बेहतर विकल्प होता है। अभी बीते कुछ सालों की बात करें तो, 2008 के वित्तीय संकट के दौरान, और 2011 के रिकवरी अवधि के दौरान सोना ही सभी परिसंपत्ति वर्गों को मात दिया था। इसके पहले ही 1990-2000 के आईटी संकट के दौरान और उसके बाद के आर्थिक संकट के दौरान भी, सोना ही इक्वीटी मार्केट का मात देने में कामयाब हुआ था। दुनिया के कई वित्तीय सलाहकार कई बात अपने पोर्टफोलियों में सोने के कम से कम छोटे निवेश की वकालत की है, ये आपके फंड को और विविध बनाता है।
पेपर गोल्ड है बेहतर विकल्प
लेकिन अब इसमें बदलाव का दौर देखने को मिल रहा है। आज के इस दौर में सोना खरीदने के और भी तरीके इजाद हो गए हैं जो कि पारंपरिक सोने से अधिक सुरिक्षित और बेहतर रिटर्न देने वाला है। हम बात कर रहे हैं पेपर गोल्ड की। गोल्ड ईटीएफ और सॉवरेन गोल्ड दो ऐसे ही गोल्ड बॉन्ड है जो हमें सोने में बेहतर निवेश का विकल्प देते हैं।
क्या हैं गोल्ड ईटीएफ
गोल्ड ईटीएफ किसी भी अन्य म्यूचुअल फंड की तरह ही काम करता है जिसमें आप निवेश की गई राशि के कोई भी यूनिट को अपने इच्छा के अनुसार अधिग्रहण कर सकते हैं। इस निवेश में परिसंपत्ति के तौर पर सोना है जो कि रजिस्ट्रार के पास रहता है।
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड मे ऐसे करें निवेश
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड भी ऐसा ही एक दूसरा विकल्प है जिसे मौजूदा सरकार ने 2015 में शुरू किया था। इस बॉन्ड की अवधि 8 साल की होती है जिसमें 5 साल में ही बंद करने का भी विकल्प होता है। इसमें निवेशक को 2.5 साल का एक फिक्सड रेट से कमाई होती है, जो की अर्धवार्षिक आधार पर आपको मिलता है। सॉवरेन गोल्ड लोन में निवेश करने का यह सबसे बड़ा एडवांटेज है। सबसे खास बात है कि इस निवेश में आपको जीएसटी भी नहीं देना होगा, और भविष्य मेंं इस गोल्ड बॉन्ड के रिडेम्पशन से इक_ा होने वाली पूंजी पर भी आपको किसी प्रकार को कोई टैक्स नहीं देना होगा। इन सब बातों को ध्यान से देखा जाए तो, फिजिकल गोल्ड के अपेक्षा गोल्ड बॉन्ड में निवेश करना आपके लिए एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है, क्योंकि इसपर आपको ब्याज भी मिलेगा गोल्ड वैल्यू में होने वाले अप्रिशिएशन से भी आपको फायदा होगा।
दूर्भाग्यपूण रूप से, आम आदमी पेपर गोल्ड के बजाय फिजिकल गोल्ड में ही निवेश करना ज्यादा पसंद करता है। सरकार द्वारा इस स्कीम को प्रमोट करने और इसमें 5,400 करोड़ रुपए खर्च करने के बाद भी लोगों के तरफ से इसमे ज्यादा भरोसा नहीं देखा जा रहा है। इसके लिए काफी हद तक हमारी फिजिकल गोल्ड खरीदने की परंपरा भी जिम्मेदार है। लोंगों को पेपर गोल्ड के बजाय फिजिकल गोल्ड खरीदना ज्यादा आकर्षित लगता है। इसलिए इस फेस्टिव सीजन यदि आप किसी अपने को गिफ्ट करना चाहते हैं तो फिजिकल गोल्ड के बजाय पेपर गोल्ड आपके लिए एक बेहतर विकल्प होगा।