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कैराना उपचुनाव में बीजेपी की हार के यह हैं मुख्य आर्थिक कारण

locationनई दिल्लीPublished: May 31, 2018 03:28:40 pm

Submitted by:

Saurabh Sharma

बीजेपी की यह हार सिर्फ कैराना में नहीं हुर्इ है, बल्कि पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हुर्इ है।

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कैराना उपचुनाव में बीजेपी की हार के यह हैं छह मुख्य आर्थिक कारण

नर्इ दिल्ली। जिस तरह से कैराना उपचुनाव के नतीजे सामने आ रहे हैं उससे साफ नजर आ रहा है कि बीजेपी को यहां हार का मुंह देखना होगा। सवाल यह है कि कैराना में दबदबा कायम रखने वाली बीजेपी को हार का मुंह क्यों देखना पड़ रहा है? इसके कर्इ कारण सामने आ रहे हैं। आर्थिक विश्लेषकों के अनुसार बीजेपी की यह हार सिर्फ कैराना में नहीं हुर्इ है। बल्कि पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हुर्इ है। यहां पर किसानों का बड़ा फैक्टर सामने आ रहा है। आइए आपको भी बताते हैं कि वो कौन से आर्थिक कारण हैं जो बीजेपी की हार का कारण बने हैं।

गन्ना किसानों का भुगतान
पूरे देश में सबसे ज्यादा गन्ना किसान वेस्ट यूपी में हैं। इसलिए गन्ना किसानों की समस्याएं भी यहां सबसे ज्यादा है। आंकड़ों की मानें तो वेस्ट यूपी में गन्ना किसानों का 12 हजार करोड़ रुपयों का भुगतान होना है, जो अभी तक नहीं हुआ है। जबकि देश के पीएम आैर प्रदेश के सीएम 2014 आैर 2017 के चुनावों में इस बात वादा तक कर चुके हैं। लेकिन अभी तक उनका भुगतान नहीं हुआ है। जिसकी वजह से किसानों में भाजपा प्रति काफी रोष था।

किसानों की कर्जमाफी
किसानों की कर्जमाफी भी सिर्फ वेस्ट यूपी का ही नहीं बल्कि पूरे यूपी का बड़ा मसला था। खुद पीएम इस बारे में कर्इ बार वेस्ट यूपी में आकर बयान दे चुके हैं। वहीं यूपी सरकार का दावा है कि सरकार ने करीब 86 लाख किसानों 30729 करोड़ का कर्ज पूरी तरह से माफ किया है। जबकि इस दावे को वेस्ट यूपी के कैराना के नतीजों ने धूल में मिला दिया है। कर्इ किसान सामने आ चुके हैं जिन्होंने कहा है कि उनका कर्ज माफ नहीं हुआ है। बैंक उन्हें बार-बार नोटिस भेज रहे हैं। यह भी एक बड़ा फैक्टर बना है।

एमएसपी डेढ़ गुना करने का दावा
वहीं दूसरे दावे की बात करते हैं। यूपी आैर केंद्र की बीजेपी सरकार ने किसानों को बीज पर डेढ़ गुना अनुदान देने का वादा किया था। लेकिन अभी तक यह दावा को हकीकत की जमीन पर नहीं आया है। जिससे भी किसान काफी नाराज था। जानकारों की मानें तो एनएसपी डेढ़ गुना करने के वादे को पूरा नहीं कर सकी है। जिसकी वजह से किसानों में काफी रोष पैदा हो रहा था। जिसका असर कैराना आैर नूरपुर के उपचुनाव में देखने को मिल गया।

पाकिस्तान से चीनी का आयात
जहां एक आेर देश का गन्ना किसान परेशान आैर अपने भुगतान को तरस रहा है। वहीं दूसरी आेर सरकार का पाकिस्तान से चीनी के आयात का फैसला कर किसानों को नाराज कर दिया है। आंकड़ों की बात करें तो चालू वित्‍त वर्ष में 14 मई तक पाकिस्‍तान से 1908 टन चीनी का आयात हुआ है, जिसका मूल्‍य 6.57 लाख अमेरिकी डॉलर है। जिसके बाद से वेस्ट यूपी के किसानों को इस बात का गहरा झटका लगा है। कैराना के बीजेपी के खिलाफ नतीजे उन्हीं फैसलाें का परिणाम हैं।

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