इसलिए किया जा रहा है विलय राष्ट्रीय स्तर के बैंकों की पहुंच न होने के कारण राज्यों के भीतर ग्रामीण क्षेत्रों तक बैंकिंग सुविधाएं पहुंचाने के मकसद से क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का गठन किया गया था। लेकिन निजी बैंकों के साथ सार्वजनिक क्षेत्रों के विस्तार के कारण इन बैंकों की महत्ता कम होती गई। साथ ही बेहतर तकनीक न होने के कारण लोग भी इन क्षेत्रीय बैंकों से दूरी बनाते चले गए। नतीजा यह हुआ कि इन बैंकों की आय कम होने लगी। आय कम होने के कारण इन बैंकों के वित्तीय हालात बिगड़ते चले गए, जिससे इनका कामकाज सुचारू रूप से चलाने में दिक्कत होने लगी। अब सरकार इन बैंकों का विलय कर इनको वित्तीय रूप से मजबूत बनाना चाहती है। मीडिया रिपोर्ट्स के अऩुसार, बैंकों की संख्या कम करके इनकी कार्यक्षमता को बेहतर करना चाहती है। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि नई व्यवस्था से ग्रामीण बैंकों को अतिरिक्त खर्च घटाने, तकनीक का बेहतर उपयोग करने और पूंजी आधार के साथ कार्यक्षेत्र बढ़ाने में मदद मिलेगी।
1976 में किया गया था क्षेत्रीय बैंकों का गठन देशभर में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का गठन आरआरबी अधिनियम 1976 के तहत किया गया था। इन बैंकों के गठन का मकसद छोटे किसानों, कृषकों, श्रमिकों और ग्रामीण क्षेत्र के कारोगरों को बैंकिंग सुविधाएं मुहैया कराना था। इसमें इन लोगों को कर्ज के साथ अन्य बैंकिंग सुविधाएं देना शामिल था। आरआरबी अधिनियम 1976 में 2015 में संशोधन किया गया था। इस संशोधन का मकसद क्षेत्रीय ग्रामीण को मजबूत करना था।