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अब ग्रामीण बैंकों का होगा विलय, देश में बचेंगे सिर्फ 36 बैंक

locationनई दिल्लीPublished: Sep 24, 2018 01:08:10 pm

Submitted by:

Manoj Kumar

क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की हालत सुधारने के लिए सरकार यह कदम उठा रही है।
 

Regional rural bank

अब ग्रामीण बैंकों का होगा विलय, देश में बचेंगे सिर्फ 36 बैंक

नई दिल्ली। बैंकों की हालत सुधारने को लेकर सरकार की ओर से शुरू किए गए विलय कार्यक्रम को लेकर सरकार और गंभीर हो गई है। राष्ट्रीय स्तर के तीन सार्वजिनक बैंकों के विलय की घोषणा के बाद अब सरकार ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) के विलय की ओर कदम बढ़ाने शुरू कर दिए हैं। वित्त मंत्रालय के हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि सरकार आने वाले समय में 56 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का आपस में विलय कर इनकी संख्या को घटाकर 36 पर लाने की योजना बना रही है। इसको लेकर सरकार ने राज्यों से विचार विमर्श शुरू कर दिया है। इसका कारण यह है कि राज्य आरआरबी के मुख्य प्रायोजक होता हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, खुद ग्रामीण बैंक भी राज्यों के भीतर संख्या कम करने पर काम कर रहे हैं।
इसलिए किया जा रहा है विलय

राष्ट्रीय स्तर के बैंकों की पहुंच न होने के कारण राज्यों के भीतर ग्रामीण क्षेत्रों तक बैंकिंग सुविधाएं पहुंचाने के मकसद से क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का गठन किया गया था। लेकिन निजी बैंकों के साथ सार्वजनिक क्षेत्रों के विस्तार के कारण इन बैंकों की महत्ता कम होती गई। साथ ही बेहतर तकनीक न होने के कारण लोग भी इन क्षेत्रीय बैंकों से दूरी बनाते चले गए। नतीजा यह हुआ कि इन बैंकों की आय कम होने लगी। आय कम होने के कारण इन बैंकों के वित्तीय हालात बिगड़ते चले गए, जिससे इनका कामकाज सुचारू रूप से चलाने में दिक्कत होने लगी। अब सरकार इन बैंकों का विलय कर इनको वित्तीय रूप से मजबूत बनाना चाहती है। मीडिया रिपोर्ट्स के अऩुसार, बैंकों की संख्या कम करके इनकी कार्यक्षमता को बेहतर करना चाहती है। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि नई व्यवस्था से ग्रामीण बैंकों को अतिरिक्त खर्च घटाने, तकनीक का बेहतर उपयोग करने और पूंजी आधार के साथ कार्यक्षेत्र बढ़ाने में मदद मिलेगी।
1976 में किया गया था क्षेत्रीय बैंकों का गठन

देशभर में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का गठन आरआरबी अधिनियम 1976 के तहत किया गया था। इन बैंकों के गठन का मकसद छोटे किसानों, कृषकों, श्रमिकों और ग्रामीण क्षेत्र के कारोगरों को बैंकिंग सुविधाएं मुहैया कराना था। इसमें इन लोगों को कर्ज के साथ अन्य बैंकिंग सुविधाएं देना शामिल था। आरआरबी अधिनियम 1976 में 2015 में संशोधन किया गया था। इस संशोधन का मकसद क्षेत्रीय ग्रामीण को मजबूत करना था।
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