मेंटिनेंस फीस और सर्विस चार्ज – बैंक अपने सभी ग्राहकों से हर साल खाते का मेटिंनेस फीस औऱ चार्ज वसूलते हैं। ऐसे में आपके पास जितने कम खाते होंगे आपको उतना ही कम चार्ज देना पड़ेगा। सके अलावा अगर आपने हर अकाउंट के लिए डेबिट या एटीएम कार्ड ले रखा है तो उसकी फीस देनी होगी, जो खर्च को और बढ़ा देती है। वहीं ज्यादा डेबिट कार्ड के साथ एक और टेंशन रहती है, वह है हर कार्ड का पासवर्ड याद रखना।
मिनिमम बैलेंस रखने की झंझट– अगर आपके पास सैलरी अकाउंट के अलावा कोई दूसरा सेविंग खाता है तो आपको हर खाते में एक मिनिमम बैलेंस रखना पड़ता है। हालांकि हर बैंक में इसके चार्ज अलग-अलग होते हैं। ऐसे में अगर आप ज्यादा अकाउंट रखेंगे तो आपको ज्यादा खातों पर मिनिमम बैलेंस मेंटेन करना होगा।
लगेगी ज्यादा पेनल्टी – अगर आपने बैंक की मिनिमम बैलेंस रखने की शर्त को पूरा नहीं किया तो बैंक आपसे पेनल्टी के रुप में रकम वसूल करती है। इसिलए अगर आपके पास कम खाते होंगे और आप मिनिमम बैंलेंस मेंटेन नहीं कर पाते हैं तो आपको पेनल्टी भी कम लगेगी।
टैक्स फाइलिंग में दिक्कत – मल्टीपल बैंक अकाउंट इनकम टैक्स फाइलिंग में भी परेशानी का सबब बन जाते हैं।. ऐसा इसलिए क्योंकि आपको रिटर्न फाइलिंग में हर अकाउंट का ब्यौरा देना होता है। ऐसे में मल्टीपल सेविंग अकाउंट से कागजी कार्रवाई में ज्यादा माथापच्ची होती है और सभी बैंक अकांउट से जुड़ी जानकारी जैसे बैंक स्टेटमेंट जुटाना भी टेंशन पैदा कर देता है।