ईपीएफ में सैलरी का 12 फीसदी हिस्सा
आपको बता दें कि कर्मचारियों को अपने मूल वेतन का 12 फीसदी हिस्सा ईपीएफ की सामाजिक सुरक्षा योजना मद में देना होता है। इतना ही योगदान नियोक्ता भी करता है। मामले से जुड़े एक सूत्र ने कहा, ‘फैसले को देखते हुए ईपीएफओ उन कंपनियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगा जो ईपीएफ योगदान के लिए विशेष भत्ते को उसमें शामिल नहीं करते। ईपीएफओ फैसले को स्टडी कर रहा है और उसे लागू करने के लिए जल्दी ही पूरा प्लान लाएगा।’
सूत्रों ने दी जानकारी
सूत्र ने कहा, ‘ईपीएफओ ने शीर्ष अदालत में कहा है कि मूल वेतन को जानबूझकर कम रखा जाता है और इसी के आधार पर ईपीएफ की गणना होती है। इसीलिए निकाय के लिए यह जरूरी है कि इसे सही तरीके से लागू करे।’ ईपीएफओ न्यासी तथा भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) के महासचिव ब्रजेश उपाध्याय ने कहा, ‘हम शीर्ष अदालत के निर्णय का स्वागत करते हैं। यह लंबित मामला है। वास्तव में ईपीएफओ का निर्णय लेने वाला शीर्ष निकाय केंद्रीय न्यासी बोर्ड ने ईपीएफ देनदारी कम करने के लिए वेतन को विभिन्न मदों में विभाजित करने के मामले तथा उससे निपटने के बारे में सुझाव देने को लेकर एक समिति बनाई थी।’
वित्तीय भत्ते होंगे मूल वेतन में शामिल
उन्होंने कहा, ‘समिति ने मसले से निपटने को लेकर अपना सुझाव दिया था। लेकिन उसी वक्त मामला कोर्ट में गया और विभिन्न भत्तों को मूल वेतन में शामिल करने की समिति की सिफारिशों को लागू नहीं किया जा सका।’ शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में ईपीएफ की अपील की अनुमति दे दी। इसमें ईपीएफ योगदान की गणना के लिए विशेष भत्ते जैसे भत्तों को मूल वेतन में शामिल करने की अनुमति देने का आग्रह किया गया था।
(ये न्यूज एजेंसी से ली गई है।)
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