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2020 तक और बिगड़ सकती है सरकारी बैंकों की हालत: इक्रा

locationनई दिल्लीPublished: Aug 09, 2018 11:23:36 am

Submitted by:

Manoj Kumar

बैंक ऑफ बड़ौदा देश का तीसरा सबसे बड़ा सरकारी बैंक है। बैंक के चेयरमैन रवि वेंकटेशन अगले महीने सेवानिवृत्त हो रहे हैं।

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नई दिल्ली। सरकारी बैंकों की हालत दिन ब दिन खराब होती जा रही है। सरकार और आरबीआई के तमाम कोशिशों के बाद भी न तो बैंकों के एनपीए कम हो रहे हैं, न ही उनमें सुधार हो रहा है। सरकारी बैंकों के मौजूदा हालात को देखते हुए बैंक ऑफ बड़ौदा के चेयरमैन का कहना है कि बैंकिंग सेक्टर में मौजूदा कड़ी नीतियों की वजह से सरकारी बैंकों के सामने नए निवेशकों को लुभाने और बुरे वित्तीय हालातों से निकलना मुश्किल हो गया है। उनका कहना है कि इस समय सरकारी बैंकों को एकजुट होने की जरूरत है। यदि वे एेसा नहीं करते हैं तो बैंकिंग सेक्टर में प्राइवेट सेक्टर के बैंकों की हिस्सेदारी बढ़ जाएगी। वेंकटेशन का कहना है कि इस समय कमजोर बैंकों का विलय करने के बजाए खुद को मजबूत करने की आवश्यकता है। आपको बता दें कि रवि वेंकटेशन अगले महीने सेवानिवृत्त हो रहे हैं।
बैंकिंग सेक्टर की जरूरतों के उलट हो रहा काम

अंग्रेजी वेबसाइट ब्लूमबर्ग को दिए एक इंटरव्यू में वेंकटेशन ने कहा कि भारत को इस समय कम, बेहतर पूंजीकृत और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की आवश्यकता है लेकिन इसके उलट काम हो रहा है। वेंकटेशन का कहना है कि आज जानबूझकर बैंकों के निजीकरण पर जोर दिया जा रहा है। इसका कारण यह है कि आज सरकारी बैंक अपनी पूंजी और मार्केट शेयर गवां रहे हैं। बॉब चेयरमैन ने कहा कि बीते वित्त वर्ष में करीब 70 फीसदी जमा प्राइवेट बैंकों के पास हुआ है। उन्होंने अनुमान जताया कि 2020 तक खराब लोन बढ़कर 80 फीसदी तक पहुंच जाएगा। खराब लोन के बढ़ने से सरकारी बैंकों को पूंजी बढ़ाने और नए लोन देने में परेशानी होती है। वेंकटेशन ने कहा कि खराब बैलेंस शीट और 51 फीसदी शेयर सार्वजनिक क्षेत्र के लिए रखने के नियम से सरकारी बैंकों की नई पूंजी के लिए सरकार पर निर्भरता बढ़ रही हैं।
सरकारी बैंकों पर बढ़ रहा खराब लोन का बोझ

आपको बता दें कि देश के 21 सरकारी बैंकों में से 11 बैंक भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आपातकालीन कार्यक्रम के सुपरवीजन में काम कर रहे हैं। वेंकटेशन का कहना है कि भारत में काम कर रही मूडीज की स्थानीय इकाई इक्रा लिमिटेड भी 2020 तक कुल लोन बढ़ने की बात कह चुकी है। इक्रा का कहना है कि 2020 तक भारत का मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस की स्थानीय इकाई आईक्रा लिमिटेड का अनुमान है कि 31 मार्च, 2020 तक भारत के कुल ऋण 8 फीसदी से बढ़कर 9 .5 फीसदी हो जाएंगे। इसमें से 80 फीसदी निजी बैंकों में जाएंगे।
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