बैंकिंग सेक्टर की जरूरतों के उलट हो रहा काम अंग्रेजी वेबसाइट ब्लूमबर्ग को दिए एक इंटरव्यू में वेंकटेशन ने कहा कि भारत को इस समय कम, बेहतर पूंजीकृत और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की आवश्यकता है लेकिन इसके उलट काम हो रहा है। वेंकटेशन का कहना है कि आज जानबूझकर बैंकों के निजीकरण पर जोर दिया जा रहा है। इसका कारण यह है कि आज सरकारी बैंक अपनी पूंजी और मार्केट शेयर गवां रहे हैं। बॉब चेयरमैन ने कहा कि बीते वित्त वर्ष में करीब 70 फीसदी जमा प्राइवेट बैंकों के पास हुआ है। उन्होंने अनुमान जताया कि 2020 तक खराब लोन बढ़कर 80 फीसदी तक पहुंच जाएगा। खराब लोन के बढ़ने से सरकारी बैंकों को पूंजी बढ़ाने और नए लोन देने में परेशानी होती है। वेंकटेशन ने कहा कि खराब बैलेंस शीट और 51 फीसदी शेयर सार्वजनिक क्षेत्र के लिए रखने के नियम से सरकारी बैंकों की नई पूंजी के लिए सरकार पर निर्भरता बढ़ रही हैं।
सरकारी बैंकों पर बढ़ रहा खराब लोन का बोझ आपको बता दें कि देश के 21 सरकारी बैंकों में से 11 बैंक भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आपातकालीन कार्यक्रम के सुपरवीजन में काम कर रहे हैं। वेंकटेशन का कहना है कि भारत में काम कर रही मूडीज की स्थानीय इकाई इक्रा लिमिटेड भी 2020 तक कुल लोन बढ़ने की बात कह चुकी है। इक्रा का कहना है कि 2020 तक भारत का मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस की स्थानीय इकाई आईक्रा लिमिटेड का अनुमान है कि 31 मार्च, 2020 तक भारत के कुल ऋण 8 फीसदी से बढ़कर 9 .5 फीसदी हो जाएंगे। इसमें से 80 फीसदी निजी बैंकों में जाएंगे।