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Putrada Ekadashi 2021: सावन पुत्रदा एकादशी व्रत 2021 का शुभ समय व पूजा विधि और नियम

दशमी तिथि की रात से ही व्रत के नियमों का पूर्ण रूप से पालन

Aug 13, 2021 / 05:21 pm

दीपेश तिवारी

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हिंदू पंचांग में सावन का महीना त्यौहारों से भरा रहता है। ऐसे में जहां इस पूरे माह भगवान शिव की पूजा होती है। वहीं कई पर्व व त्यौहार भी इस समय आते हैं। ऐसा ही एक पर्व सावन के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आता है, जिसके पुत्रदा एकादशी कहा जाता है। इस साल यानि 2021 में यह पर्व बुधवार, अगस्त 18 को आ रहा है।

मान्यता है कि यह व्रत संतान की समस्याओं के छुटकारे के लिए किया जाता है। जानकारों के अनुसार स्वस्थ लोग जो उपवास कर सकते हैं, उन्हें ये व्रत रखते हुए केवल फलाहार को इस दिन ग्रहण करना चाहिए। इस दिन विधि पूर्वक पूजन संपन्न होने के बाद एक निश्चित समय पर ही इसका पारण करना चाहिए।

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ज्योतिष के जानकार व पंडित सुनील शर्मा के अनुसार जिस किसी को बाधाओं के चलते संतान प्राप्ति नहीं हो रही हो या जिन्हें पुत्र प्राप्ति की कामना हो, ऐसे लोगों को पुत्रदा एकादशी का व्रत जरूर करना चाहिए। क्योंकि इस व्रत का फल इसके नाम के अनुसार ही है। यह व्रत रखने से भक्तों को संतान संबंधी मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

श्रावण पुत्रदा एकादशी 2021 का पूजन मुहूर्त-
सावन शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि शुरु: बुधवार 18 अगस्त 2021 : 03:20 AM से
शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का समापन: गुरुवार,19 अगस्त 2021 : 01:05 AM तक

वहीं पुत्रदा एकादशी का यह व्रत इस साल 2021 में बुधवार,अगस्त 18 को और पारण 19 अगस्त को होगा।

पूजा विधि और नियम
पं. शर्मा के अनुसार एकादशी का व्रत करने वाले को दशमी तिथि की रात्रि से ही व्रत के नियमों का पूर्ण रूप से पालन करना चाहिए। इसके तहत दशमी को भोजन सूर्यास्त के बाद नहीं करना चाहिए और रात में भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए निद्रा में जाना चाहिए।

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: सावन पुत्रदा एकादशी की सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठकर नित्य कर्म के बाद स्नान करके साफ धुले हुए वस्त्र पहनकर भगवान श्रीहरि विष्‍णु का ध्यान करना चाहिए।

: यदि गंगाजल आपके पास है तो पानी में गंगा जल डालकर नहाना चाहिए।

: फिर स्नान व साफ वस्त्र पहनने के बाद भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए, फिर कलश की स्थापना करनी चाहिए।

: इसके बाद लाल वस्त्र से बांधकर कलश को पूजा करनी चाहिए।

: पूजा स्थान पर भगवान विष्णु की प्रतिमा रखने के बाद इस प्रतिमा को स्नानादि से शुद्ध करने के पश्चात नए वस्त्र पहनाने चाहिए।

: इसके बाद धूप-दीप आदि से विधि पूर्वक भगवान विष्णु की पूजा और आरती करनी चाहिए, इस दौरान भगवान विष्णु को नैवेद्य और फलों का भोग लगाने के बाद प्रसाद बांटना चाहिए।

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: भगवान विष्णु को अपनी क्षमता के मुताबिक फल-फूल, नारियल, पान, सुपारी, लौंग, बेर, आंवला आदि अर्पित करें।

: फिर एकादशी की रात्रि में भगवान का भजन-कीर्तन करें।

: वहीं पूरे दिन निराहार रहने के बाद शाम के समय कथा आदि सुनने के पश्चात फलाहार करें।

: जबकि अगले दिन ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद सामर्थ्य के अनुसार दान-दक्षिणा अवश्य दें। इसके बाद ही स्वयं भोजन करें।

इस दिन धर्म के जानकारों के अनुसार दीपदान करने का भी बहुत महत्व माना जाता है। इसके अलावा पुत्रदा एकादशी व्रत के पुण्य से मनुष्य तपस्वी, विद्वान, पुत्रवान और लक्ष्मीवान होने के साथ ही समस्त सुखों को भोगता है।

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