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यहां मनता है ‘पीरियड्स पर्व’, जानें क्या है मान्यता

locationभोपालPublished: Jun 15, 2019 11:55:41 am

Submitted by:

Pawan Tiwari

यहां मनता है ‘पीरियड्स पर्व’, जानें क्या है मान्यता

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यहां मनता है ‘पीरियड्स पर्व’, जानें क्या है मान्यता

आज भी हमारे देश में पीरियड्स (मासिक धर्म) पर महिलाएं खुलकर बातें नहीं करती हैं लेकिन ओडिशा में पीरियड्स को एक त्यौहार के तौर पर मनाया जाता है। यह पर्व यहां के मुख्य त्यौहारों में से एक है, जिसे रजो पर्व के नाम से जाना जाता है। यह पर्व हर साल 14 जून से शुरू होता है। चार दिन तक चलने वाले इस पर्व को पहले दिन को पहीली रजो, दूसरे दिन को मिथुन संक्रांति, तीसरे दिन भूदाहा या बासी रजा और चौथे दिन को वासुमति स्नान के नाम से जाना जाता है।
इस पर्व की खासियत ये है कि इस पर्व में वही स्त्रियां भाग ले सकती हैं, जो मासिक धर्म से गुजर रही होती हैं। बताया जाता है कि इस दौरान घर के सारे कामकाज ठप रहते हैं। इस दौरान घर का सारा काम पुरुष करते हैं। खाना भी पुरुष ही बनाते हैं।
क्या है मान्यता

इस पर्व को मनाने के पीछे मान्यता ये है कि भगवान विष्णु की पत्नी भूदेवी (पृथ्वी) को राजस्वला से गुजरना पड़ता है। उनका यह पीरियड तीन से चार दिन तक का होता है। इस दौरान जमीन से जुड़े सारे काम रोक दिए जाते हैं ताकि भूदेवी को आराम दिया जा सके। जिनसे वे खुश रहें।
धरती को स्त्री का दर्जा

भारत में धरती (पृथ्वी) को हमेशा स्त्री का दर्जा दिया गया है। सामान्य तौर पर स्त्री के रजस्वला होने के बाद माना जाता है कि वह संतानोत्पत्ति में सक्षम है। ठीक उसी तरह अषाढ़ मास में भूदेवी रजस्वला होती हैं और खेतों में बीज डाला जाता है ताकि फसल पैदावार अच्छी हो। स्थानीय भाषा में रज पर्व को रजो पर्व कहा जाता है।
कई वर्षों से जारी है परंपरा

गौरतलब है कि ओडिशा देश का इकलौता राज्य है जहां पीरियड्स पर पर्व मनाया जाता है। बताया जाता है कि पश्चिम और दक्षिण ओडिशा में यह परंपरा कई वर्षों से जारी है। इसके अलावे रजो पर्व को मॉनसून के आगमन का संकेत भी माना जाता है। कहा जाता है कि रजो पर्व के बाद से ही मॉनसून शुरू हो जाता है।

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