कालाष्टमी व्रत की कथा
एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक दिन भगवान ब्रह्मा और विष्णु के बीच कौन श्रेष्ठ है, इसको लेकर विवाद उत्पन्न हो गया। विवाद के समाधान के लिए दोनों सभी देवता और ऋषि मुनियों सहित शिव जी के पास पहुंचे। वहां पहुंच कर सभी को लगा कि सर्वश्रेष्ठ तो शिव जी ही हैं। इस बात से ब्रह्मा जी सहमत नहीं थे, वे क्रोधित होकर शिव जी का अपमान करने लगे। उनकी बातें सुनकर शिव जी को क्रोध आ गया, जिसके परिणाम स्वरूप कालभैरव का जन्म हुआ।
कालाष्टमी के दिन जरुर पढ़ें भैरव चालीसा
काल भैरव भगवान शिव के अवतार तो माने जाते ही है, इसके साथ ही उन्हें मां दुर्गा से भी वरदान प्राप्त है। जिसके अनुसार, भैरव की पूजा के बिना मां दुर्गा का पूजन भी अधूरा माना जाएगा। इसलिए भैरव अष्टमी के दिन भैरव चालीसा का पाठ करना बहुत अच्छा माना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन भैरव चालीसा पढ़ने से मन के सभी डर दूर हो जाते हैं और इच्छित फलों की प्राप्ति होती है।