एक हजार रुपये देने के बाद भी उसके बच्चे की जान खतरे में पड़ी हुई है। वहीं जब इस घटना को लेकर ईएमओआईसी डॉक्टर मान सिंह से बात हुई तो बताया गया कि जो शिकायत मिली है उसकी जानकारी सीएमओ को दे दी गई है। उनके द्वारा जांच कराकर कार्यवाही कराई जायेगी। दूसरी तरफ एनम ने कहा कि मुझे इंजेक्शन लगाना नहीं आता है। इस बात पर तो उनकी नौकरी भी जा सकती है।
सरकारी अस्पताल में धन उगाई क्यों- कमालगंज सीएचसी में आये दिन मरीजों से धन उगाई का मामला सामने आ रहा है। सरकारी अस्पतालों में पैदा होने वाले बच्चों के जो भी इंजेक्शन लगाए जाते हैं, उनका कोई भी चार्ज नहीं लिया जाता है। फिर भी अस्पताल की एनम नीरज पाल नवजात बच्चों के इंजेक्शन लगाने के नाम पर अपनी जेब भर रही हैं। यदि किसी बच्चे को गलत इंजेक्शन लगा देती है, तो फोन पर कहती कि मुझे लगाना नहीं आता है। देखना यह होगा कि गैर जिम्मेदार स्वास्थ्य कर्मचारी को सरकारी अस्पतालों में नौकरी कैसे मिल जाती है। पीड़ित परिवार ने डीएम से शिकायत दर्ज कराई है। देखना यह होगा कि अन्य अस्पतालों की तरह ही इस महिला कर्मचारी की जांच के नाम पर खानापूर्ति करके मामला शांत कर दिया जाएगा या फिर पीड़ित परिवार को न्याय दिया जायेगा।