बायोमीट्रिक अटेंडेंस का सिस्टम मौजूदा सरकार के दौरान शुरु हुआ था। शुरुआत में इससे कर्मचारी काफी असहज देखे गए। खासतौर पर वे कर्मचारी जो लेटलतीफी के आदि हो चुके थे लेकिन, सरकार ने शुरूआत में कड़ा रुख अपनाते हुए विभिन्न स्तरों पर इसकी शुरूआत करवाई। सिविल सचिवालय के बाद विभागों और उसके बाद बोर्ड व निगमों में इसकी शुरुआत हुई। बाद में जिलों में भी यह व्यवस्था लाई गई। सरकार अपने इस सिस्टम के सफल होने का दावा कर रही है और यह कहा जा रहा है कि इस सिस्टम की बदौलत कर्मचारी समय पर आने-जाने लगे हैं और इसका सबसे ज्यादा फायदा पब्लिक डीलिंग से जुड़ी सीटों पर देखने को मिला है। आम जनता को अब घंटों इंतजार नहीं करना पड़ता और सरकारी कामकाज भी तेजी से होने लगा है।
सरकार के सामने यह बात आई है कि नवनियुक्त कर्मचारियों जिनमें क्लर्क, सेवादार-कम चौकीदार, हेल्पर, लाइनमैन व अन्य ने आधार कार्ड आधारित बायोमीट्रिक अटेंडेंस सिस्टम में अब तक स्वयं को पंजीकृत नहीं किया है। सरकार ने कड़ा रुख अपनाते हुए ऐसे कर्मचारियों को तीन दिन के भीतर खुद को इस सिस्टम से जोडऩे के आदेश दिए हैं। मुख्य सचिव कार्यालय की तरफ से जारी आदेशों में कहा गया कि अगर कोई कर्मचारी खुद को इस सिस्टम से रजिस्टर नहीं करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।