सूत्रों की मानें तो प्रदेश में डॉक्टरों के साढे पांच सौ पदों को ( Haryana Doctor Vacancy 2019 ) भरने के लिए लंबे समय से कवायद चल रही है लेकिन कोई भी नया चिकित्सक सरकार सेवा में आने के लिए तैयार नहीं है। इसके पीछे बड़ा कारण सरकार की तरफ से डॉक्टरों को दिया जाने वेतन बताया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार हरियाणा में एक चिकित्सक को जहां साठ हजार रूपए वेतन मिलता है वहीं विशेषज्ञ चिकित्सक को करीब 75 हजार रुपए वेतन मिलता है। दूसरी तरफ तेजी से मेडिकल हब के रूप में विकसित हो रहे हरियाणा में चल रहे निजी अस्पतालों द्वारा सामान्य चिकित्सक को एक लाख रूपए और विशेषज्ञ चिकित्सक को करीब सवा लाख रूपए वेतन दिया जाता है। जिसके चलते नए चिकित्सक सरकारी नौकरी में आने की बजाए निजी अस्पतालों की तरफ जाना पसंद करते हैं। यही नीति सरकार के लिए मुसीबत बनी हुई है। जिसका खामियाजा प्रदेश के लोग भुगत रहे हैं। अब सरकार ने बीच का रास्ता निकाल लिया है। जिससे चिकित्सकों को उनकी मांग के अनुसार वेतन मिलेगा और लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं मिलेंगी। स्वास्थ्य विभाग द्वारा तैयार किए गए ड्राफ्ट के अनुसार अब जिला स्तर पर डाक्टरों अथवा विशेषज्ञ चिकित्सकों की भर्ती अनुबंध के आधार पर की जाएगी। जिसके तहत चिकित्सकों को मासिक रूप से निजी क्षेत्र के बराबर वेतन दिया जाएगा। इसके लिए बजट का अलग से प्रावधान किया जाएगा। डाक्टरों की अनुबंध के आधार पर नियुक्ति की जिम्मेदारी सिविल को सौंपी जाएगी।
हरियाणा में चिकित्सकों की भारी कमी है। जिसे पूरा करने के लिए यह योजना बनाई गई है कि अनुबंध के आधार पर डाक्टरों की भर्ती की जाए। इसके लिए ड्राफ्ट योजना तैयार करके मुख्यमंत्री को भेज दी गई है। इसके अलावा सरकारी मेडिकल कालेजों में एमबीबीएस करने वालों के लिए यह शर्त लगाई है कि वह कम से कम दो वर्ष तक सरकारी अस्पताल में सेवाएं दें। सीएमओ की स्वीकृति के बाद इस योजना को लागू कर दिया जाएगा।
अनिल विज, स्वास्थ्य मंत्री हरियाणा।
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