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अयोध्या में साधू का हठयोग रामभक्ति या मंदिर निर्माण में बाधा लाने की नयी कवायद

locationफैजाबादPublished: Oct 04, 2018 09:30:20 am

भूख हड़ताल पर बैठे संत के बहाने सरकार पर मंदिर निर्माण के लिए अध्यादेश लाने का बनाया जा रहा दबाव जिस से मुकदमे की सुनवाई में पड़ जाए बाधा

Mahant Paramhans New exercise to obstruct construction of Ram Mandir

अयोध्या में साधू का हठयोग रामभक्ति या मंदिर निर्माण में बाधा लाने की नयी कवायद

अनूप कुमार
फैजाबाद ( अयोध्या ) धार्मिक नगरी अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की मांग को लेकर हठयोग पर बैठे महंत परमहंस दास का अनशन अनवरत जारी है ,बीते 3 दिनों से अन्न जल छोड़ कर अपने आश्रम के बाहर अनशन पर बैठे महंत परमहंस दास लगातार अपनी मांगे बदल रहे हैं | पहले राम मंदिर निर्माण तक अनशन पर बैठने की बात, उसके बाद राम मंदिर निर्माण के लिए कानून बनाने की बात और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अयोध्या आने तक अनशन की बात कहकर खुद महंत ने अपने मूल उद्देश्य पर सवाल खड़े कर दिए हैं | वहीं महंत के अनशन को लेकर अब तरह-तरह की चर्चाएं भी तैर रही है और कुछ लोग इस बात को भी जोर देकर कह रहे हैं कि अनशनकारी महंत को मोदी विरोधी अपना मोहरा बनाकर साल 2019 चुनाव के लिए भाजपा के विरोध में माहौल खड़ा करना चाहते हैं | क्योंकि सच यही है अयोध्या का राम मंदिर विवाद सुप्रीम कोर्ट का फैसला आए बिना हल नहीं हो सकता है और आगामी 29 अक्टूबर से इस मुकदमे की सुनवाई भी शुरू हो रही है | कानूनी दांवपेच के जानकार यह भी कह रहे हैं कि जिस तरह से लगातार साल 2019 का चुनाव नजदीक आने के साथ तीन तलाक एससी एसटी एक्ट के लिए कानून बनाने की तरह मंदिर निर्माण के लिए भी अध्यादेश लाने की बात की जा रही है उससे कहीं ना कहीं मंदिर निर्माण के विरोधी मंदिर निर्माण के मार्ग में बाधा उत्पन्न करने की साजिश कर रहे हैं | क्योंकि अगर किसी भी तरह के दबाव में आकर केंद्र सरकार राम मंदिर निर्माण के लिए कोई अध्यादेश लाती है निश्चित रूप से उस अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट में आसानी से चुनौती दी जा सकती है और ऐसे में इस अध्यादेश पर मुकदमे बाजी शुरू हो जाएगी और मूल मुद्दे पर सुनवाई टल जाएगी |
भूख हड़ताल पर बैठे संत के बहाने सरकार पर मंदिर निर्माण के लिए अध्यादेश लाने का बनाया जा रहा दबाव जिस से मुकदमे की सुनवाई में पड़ जाए बाधा

चर्चा इस बात की भी है महंत परमहंस दास भी कुछ ऐसे लोगों की कठपुतली बनकर राम मंदिर मुद्दे के नाम पर भाजपा के लिए गड्ढा खोदने का काम कर रहे हैं | जबकि सच यही है कि राम मंदिर का निर्माण बिना सुप्रीम कोर्ट का फैसला आये नहीं हो सकता | रही बात प्रधानमंत्री के अयोध्या आने की तो अभी तक राम मंदिर पर चुप्पी साधे रहने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने भी यही सवाल खड़ा होगा कि आखिरकार वह संतों को क्या जवाब देंगे | इस पूरे प्रकरण को लेकर भाजपा संघ और विहिप के पदाधिकारी अब चिंतित दिखाई दे रहे हैं | हालांकि विश्व हिंदू परिषद संघ और भाजपा के लिए राम मंदिर मुद्दा शुरू से ही गले की हड्डी की तरह रहा है, सत्ता ना रहने पर विपक्ष में बैठकर राम मंदिर का जाप करने वाले भाजपाई सत्ता में आते ही देश की न्याय व्यवस्था और सामाजिक सौहार्द का तकाजा देकर इस मुद्दे से खुद को दूर करने की कोशिश करते हैं | आज भाजपा ,विहिप और संघ जैसे संगठनों के सामने जो समस्या खड़ी हुई है वह उनकी खुद की खड़ी की गई है | इससे पहले भी संतों को आगे कर इन राजनीतिक संगठनों ने अपने विपक्षियों पर हमले किए हैं और संघ ,विहिप भाजपा की इसी नीति का फायदा आज कहीं न कहीं विपक्ष के कुछ नेताओं को मिल रहा है | इसी फार्मूले का प्रयोग कर विपक्ष ने साल 2019 चुनाव में भाजपा को घेरने के लिए महंत परमहंस दास को भूख हड़ताल पर बैठा दिया है | अभी तक संत को मनाने के लिए विश्व हिंदू परिषद के वरिष्ठ पदाधिकारी चंपत राय फैजाबाद के भाजपा सांसद लल्लू सिंह पूर्व राज्यसभा सांसद विनय कटियार सहित अयोध्या विधायक वेद प्रकाश गुप्ता भी पहुँच चुके हैं लेकिन संत परमहंस दास का हठयोग जारी है |
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