भूख हड़ताल पर बैठे संत के बहाने सरकार पर मंदिर निर्माण के लिए अध्यादेश लाने का बनाया जा रहा दबाव जिस से मुकदमे की सुनवाई में पड़ जाए बाधा चर्चा इस बात की भी है महंत परमहंस दास भी कुछ ऐसे लोगों की कठपुतली बनकर राम मंदिर मुद्दे के नाम पर भाजपा के लिए गड्ढा खोदने का काम कर रहे हैं | जबकि सच यही है कि राम मंदिर का निर्माण बिना सुप्रीम कोर्ट का फैसला आये नहीं हो सकता | रही बात प्रधानमंत्री के अयोध्या आने की तो अभी तक राम मंदिर पर चुप्पी साधे रहने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने भी यही सवाल खड़ा होगा कि आखिरकार वह संतों को क्या जवाब देंगे | इस पूरे प्रकरण को लेकर भाजपा संघ और विहिप के पदाधिकारी अब चिंतित दिखाई दे रहे हैं | हालांकि विश्व हिंदू परिषद संघ और भाजपा के लिए राम मंदिर मुद्दा शुरू से ही गले की हड्डी की तरह रहा है, सत्ता ना रहने पर विपक्ष में बैठकर राम मंदिर का जाप करने वाले भाजपाई सत्ता में आते ही देश की न्याय व्यवस्था और सामाजिक सौहार्द का तकाजा देकर इस मुद्दे से खुद को दूर करने की कोशिश करते हैं | आज भाजपा ,विहिप और संघ जैसे संगठनों के सामने जो समस्या खड़ी हुई है वह उनकी खुद की खड़ी की गई है | इससे पहले भी संतों को आगे कर इन राजनीतिक संगठनों ने अपने विपक्षियों पर हमले किए हैं और संघ ,विहिप भाजपा की इसी नीति का फायदा आज कहीं न कहीं विपक्ष के कुछ नेताओं को मिल रहा है | इसी फार्मूले का प्रयोग कर विपक्ष ने साल 2019 चुनाव में भाजपा को घेरने के लिए महंत परमहंस दास को भूख हड़ताल पर बैठा दिया है | अभी तक संत को मनाने के लिए विश्व हिंदू परिषद के वरिष्ठ पदाधिकारी चंपत राय फैजाबाद के भाजपा सांसद लल्लू सिंह पूर्व राज्यसभा सांसद विनय कटियार सहित अयोध्या विधायक वेद प्रकाश गुप्ता भी पहुँच चुके हैं लेकिन संत परमहंस दास का हठयोग जारी है |