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फैजाबाद

शीर्ष संतों और संघ विहिप के पदाधिकारियों ने दी दिवंगत संघ प्रचारक प्रकाश अवस्थी को श्रद्धांजलि

अयोध्या के कारसेवक पुरम में आयोजित हुई श्रद्धांजलि लम्बे समय तक संघ प्रकाहार्क के रूप में रही प्रकाश अवस्थी की पहचान

फैजाबादAug 28, 2018 / 03:52 pm

अनूप कुमार

Ayodhya Sant AND VHP Workers Paid Tribute To Prakash Awasthi

Prakash Awasthi

अयोध्या : कारसेवकपुरम् के भारत कल्याण प्रतिष्ठान मे दिवंगत संघ प्रचारक, प्रभारी प्रकाश अवस्थी की स्मृति मे आयोजित श्रद्धांजली सभा की अध्यक्षता वा श्रद्धानिवेदित करते हुये मणिराम दास छावनी के उत्तराधिकारी महंत कमलनयन दास ने कहा सामाजिक जीवन मूल्यो के प्रति संवेदनशील व्यक्ति की मृत्यु नही होती।उसके द्वारा किये गये सदकार्य उसे चिरकाल तक समाज के मस्तिष्क पर जीवंत रखते है।प्रकाश का अर्थ ही है, समाज मे अपने कृतित्व से उजाला फैलाये जो स्व प्रकाश अवस्थी जी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक तथा विश्व हिन्दू परिषद के संगठन मंत्री का दायित्व गृहण कर निभाया। उनका साकेत गमन हम सभी के लिए पीड़ा दाई है।
अयोध्या के कारसेवक पुरम में आयोजित हुई श्रद्धांजलि लम्बे समय तक संघ प्रकाहार्क के रूप में रही प्रकाश अवस्थी की पहचान

वरिष्ठ प्रचारक विहिप केन्द्रीय सलाहकार सदस्य पुरूषोत्तम नारायण सिंह ने कहा 1जनवरी 1935को कानपुर मे जन्मे प्रकाश अवस्थी जी बाल स्वंयसेवक थे इंटर की शिक्षा ग्रहण करने के साथ ही प्रारंभ मे विस्तारक,तहसील,जिला फिर विभाग प्रचारक रहते उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलो मे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारो और कार्यो को गतिशील बनाया।कानपुर से 1954 मे प्रारंभ हुई संगठन यात्रा अयोध्या कारसेवकपुरम् मे 1998 मे प्रभारी के दायित्व गृहण करने के उपरान्त रूकी।संघ ने स्वंयसेवक, समाज ने हितचिंतक पर और मैने अनुज को खोया।आज उनकी स्मृति ही हम सभी का संबल है।
केन्द्रीय मंत्री राजेन्द्र सिंह “पंकज ” ने कहा “तन समर्पित मन समर्पित,चाहता हूं मां भारती तुझे कुछऔर भी दूं” का भाव ग्रहण कर संघ स्वयंसेवक आज समाज से विदा हुआ परन्तु उनके विचार संस्कार और व्यवहार सदैव हममे जीवित रहेगे।उन्हो ने कहा राष्ट्र और समाज दोनो का समावेश और स्वयंसेवक का उसके रक्षार्थ लिया गया संकल्प ही उसे समाज का प्रिय बना देता है।प्रकाश जी का जीवन चरित्र समाज केलिएअनुकरणीय साथ ही हम कार्यकर्ताओ के लिए अनुकरणीय बना रहेगा। विहिप के क्षेत्रीय संगठन मंत्री अम्बरीष सिंह ने कहा “हम सेवक हैं मानवता के,सेवाधर्म हमारा है। समाजोहित मे सेवा करना,निश्चित कर्म हमारा है।। को आत्मसात करने वाले आदरणीय प्रकाश अवस्थी जी ने संघ की शाखाओ को “सच्चा तीर्थ माना ” और स्वंय को सेवक के रूप मे विकसित किया।संगठन कार्यकर्ताओ के प्रति उनकी निष्काम संवेदनशीलता ही उन्हे अमिट बनाती है।उन्हो ने कहा अनुशासन और कर्त्तव्य के प्रति निष्ठावान जागरूक रहने वाले मनीषी का अवसान संगठन की अपूर्णिय छति है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रान्त प्रचारक कौशल जी ने कहा अनुशासन का समावेश और लक्ष साधने का संकल्प लेकर प्रकाश जी ने सदेव संगठन को विस्तार प्रदान किया।आज उनकी अनुपस्थिति कष्टदायक है।उन्हो ने कहा ऊपर से कठोर और अंदर से कोमलता थी उनमे वैचारिक क्रांति के अग्रदूत थे तभी संघ ने उन्हे राष्ट्र धर्म पत्रिका के साथ भी जोड़ा।प्रांत कार्यवाह डाँ अनिल मिश्र ने अपनी भावांजली देते हुये उन्हे संत बताया और कहा स्वंय सेवक की परिभाषा और संगठन को गढने की ओज भरी थी उनमे वह नाम के साथ ही कर्म से भी प्रकाश थे,जो सदैव स्मरणीय रहेगे। सनकादिक आश्रम पीठाधीश्वर संत समिति अध्यक्ष महंत कन्हैया दास ने कहा जनकल्याण की भावना और राष्ट्र को परम बैभव तक पहुंचाने हेतु प्रकाश जी की निष्काम भक्ती उन्हे संतो की श्रृंखला मे खड़ी करती है।हजारो कार्यकर्ताओ मे सदैव स्मरणीय बने रहेगे। श्रद्धांजली सभा का संचालन शरद शर्मा ने किया।

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