script…तो बदल जाएग वजन नापने का पैमाना? किलो नहीं अब ये हो सकती है नई ईकाई | Scientists planning to change scale from kilogram for measuring weight | Patrika News

…तो बदल जाएग वजन नापने का पैमाना? किलो नहीं अब ये हो सकती है नई ईकाई

Published: Nov 12, 2018 02:09:54 pm

Submitted by:

Shweta Singh

आने वाले 16 नवंबर को वैज्ञानिक इस बात पर निर्णय लेने वाले हैं कि किग्रा को वजन की ईकाई बनाए रखा जाना चाहिए या नहीं।

Scientists planning to change scale from kilogram for measuring weight

…तो बदल जाएग वजन नापने का पैमाना? किलो नहीं अब ये हो सकती है नई ईकाई

पेरिस। ये ‘ढाई किलों का हाथ’ बॉलीवुड के फेमस डायलॉग में से एक है, जिसे लोग आम तौर पर हल्की-फुल्की लड़ाई झगड़े में इस्तेमाल करते हैं। लेकिन अगर आने वाले दिनों में किलो वजन का पैमाना ही न रहे तो सोचिए इस लाइन को कैसे बोला जाएगा। दरअसल आने वाले 16 नवंबर को वैज्ञानिक इस बात पर निर्णय लेने वाले हैं कि किग्रा को वजन की ईकाई बनाए रखा जाना चाहिए या नहीं। इसके लिए वहां वोटिंग कराई जाएगी।

ये है किलोग्राम का मानक

आपको बता दें कि अभी तक तो 1 किलो का भार पेरिस में रखे एक धातु के सिलिंडर के बराबर माना जाता था। ये एक अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकॉल का हिस्सा है, जिसपर वर्ष 1889 में सहमति बनी थी। इस प्रोटोकॉल का नाम ‘इंटरनेशनल प्रोटोकॉल किलोग्राम’ है, जिसे ‘ल ग्रैंड के’ भी कहा जाता है। इसके तहत पेरिस के ब्यूरो इंटरनेशनल द पॉइड्स एत मीजर्स इन सेवरेस में प्लेटिनम और इरीडियम के मिश्रण वाले एक मिक्स धातु का छोटा सिलिंडर के वजन को 1 किग्रा माना जाता है। इस सिलिंडर को हर 30-40 साल में जांच के लिए बाहर निकाला जाता है और विश्वभर के बांटों को इससे नापा जाता है।

क्यों की जा रही है बदलने की कोशिश

इस ईकाई को बदलने का सबसे मुख्य कारण ये है कि वैज्ञानिकों को लगता है कि पेरिस में रखा ये मानक किलो धीरे-धीरे सिकुड़ रहा है। हालांकि ये किस कारण हो रहा है ये दावा करना अभी मुश्किल है। कुछ का मानना है कि ऐसा धातु के धीरे-धीरे क्षरण की वजह से हो रहा है तो वहीं ये भी हो सकता है कि दुनिया के अन्य बांटों पर धीरे-धीरे और चीजें (धूल वगैरह) जमा हो रहीं हैं, उस कारण भी ऐसा हो सकता है। बताया जा रहा है कि कुछ समय पहले ही इस बांट में 30 माइक्रोग्राम की बढ़त दर्ज की गई थी। वैसे तो ये ग्राहकों के लिए अच्छी बात थी लेकिन वैज्ञानिकों के लिए ये चिंताजनक बात है। दरअसल दवाओं के मार्केट जैसे क्षेत्रों में इस कारण बड़े बदलाव आ सकते हैं क्योंकि इनमें वजन की मात्रा का सटीक पता होना बहुत अहमियत रखता है।

बदल चुका है मीटर का भी पैमाना

अब वैज्ञानिकों की राय है कि इस सिलिंडर से नापने के बजाए किसी प्राकृतिक भार को मानक ईकाई घोषित कर दिया जाए। उनके जहन में इसके लिए ईकाई है ‘प्लांक कॉन्सटैंट’। कुछ दशक पहले, मीटर को भी ऐसे ही एक भौतिक ईकाई से हटा कर , प्रकाश जितना एक सेकेंड में ट्रेवेल करता है, उसके 30 करोड़वां भाग के बराबर बना दिया गया था। अब शायद किलो के बदले जाने का भी वक्त आ गया है।

भारत का सही नाप वाला किलो

गौरतलब है कि भारत के पास भी इस ‘ल ग्रैंड के’ की एक आधिकारिक कॉपी , जो दिल्ली के नेशनल फिजिकल लैबोरेटरी में रखा हुआ है। ये भारत का सबसे सही नाप वाला किलो माना जाता है। समय-समय पर इसे पेरिस माप के लिए भेजा जाता है।

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