भारत की तरक्की में साइप्रस का बड़ा योगदान भारत की तरक्की में साइप्रस के योगदान की सराहना करते हुए राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि साइप्रस भारत में आठवां सबसे बड़ा निवेशक है।दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार करीब 8.2 अरब डॉलर है। साइप्रस के प्रतिनिधि सभा के अपने संबोधन के दौरान राष्ट्रपति ने कहा कि भारत इस समय बदलाव के रोमांचक मोड़ पर है और आकर्षक व्यावसायिक अवसर प्रदान कर रहा है। उन्होंने कहा कि डिजिटल इंडिया मिशन, स्मार्ट सिटीज मिशन और बिजली और ऊर्जा, राजमार्गों, बंदरगाहों और नौवहन जैसे प्रमुख बुनियादी ढांचे क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर निवेश की व्यावहारिक परियोजनाएं साइप्रस के निवेशकों का इंतजार कर रही हैं।
साइप्रस के निवेशकों का आह्वान राष्ट्रपति ने कहा कि भारत का ‘ओवरराइडिंग मिशन’ इसकी आर्थिक विकास और आधुनिकीकरण है। साइप्रस, एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में और भारत के सबसे बड़े निवेशकों में से एक के रूप में, इस प्रक्रिया के लिए महत्वपूर्ण है। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था है। भारत की उपलब्धियों और मजबूत अर्थव्यवस्था की और इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि “पिछली तिमाही में हमारा जीडीपी बढ़कर 8.2% हो गया। जीएसटी ने हमारे सभी राज्यों में एक समान, सरल और डिजिटल रूप से सक्षम कराधान का नेतृत्व किया है। यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।
एनएसजी और सुरक्षा परिषद में समर्थन के लिए आभार जताया राष्ट्रपति ने एक जिम्मेदार देश के रूप में साइप्रस की सराहना करते हुए कोविंद ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) के विस्तार में भारत की उम्मीदवारी का समर्थन करने के लिए इस द्वीप राष्ट्र का शुक्रिया अदा किया। राष्ट्रपति ने हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स को अपने संबोधन के दौरान कहा, “जिम्मेदार राष्ट्र-राज्यों के रूप में, साइप्रस और भारत दोनों अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में चुनौतियों से निपटने में सक्षम हैं। अपनी-अपनी राष्ट्रीय संप्रभुता और आतंकवाद को हराने की जरूरी आवश्यकता हमें एकजुट करती है।”
साइप्रस संसद को उनके संबोधन के कुछ ही समय पहले राष्ट्रपति ने महात्मा गांधी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की थी। उन्होंने आर्कबिशप मकरियस की प्रतिमा पर भी माल्यापर्ण किया।