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रफाल पर बवाल के बीच ओलांद का नया बयान

locationनई दिल्लीPublished: Sep 23, 2018 12:50:56 pm

Submitted by:

mangal yadav

फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति ओलांद के रफाल सौदे को लेकर दिए गए बयान के बाद भारत में मची सियासी उठापटक के बीच ओलांद ने फिर एक न्यूज एजेंसी से बात की है।

पेरिस/नई दिल्लीः रफाल सौदे पर फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांसुआ ओलांद के खुलासे के बाद भारत की राजनीति में भूचाल आ गया। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शनिवार को फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सीधा निशाना साधा तो जवाब में भाजपा ने भी राहुल पर तीखा हमला बोला। मगर, फ्रांस सरकार ने कहा कि रफाल सौदे में भारतीय साझेदार को चुनने में उनकी कोई भूमिका नहीं थी। वहीं, दासू ने कहा कि उसने खुद अपनी मर्जी से साझेदार चुना है। दोनों बयानों में ओलांद की इस बात का खंडन नहीं है कि अंबानी का नाम भारत सरकार की ओर से आया था। ओलांद ने कहा था कि रफाल सौदे में रिलायंस (अनिल अंबानी) का नाम भारत सरकार ने ही सुझाया था।

भाजपा का कांग्रेस पर पलटवार

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बोफोर्स समेत कई घोटालों का जिक्र करते हुए कहा कि राहुल को रफाल पर सवाल पूछने का हक नहीं है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राहुल ने सारी मर्यादाओं को तोड़ते हुए देश के ईमानदार प्रधानमंत्री पर गैरजिम्मेदाराना आरोप लगाकर स्वयं अपने मुंह पर कालिख पोत ली है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी और उनका पूरा परिवार भ्रष्टाचार की जननी है।

कांग्रेस ने दिया भाजपा को जवाब

इस बीच, देर शाम को कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला 2012 में दासू और रिलायंस इंडस्ट्री के करार पर कहा कि यह सफेद झूठ है और सरासर बकवास किया जा रहा है, वह भी दुर्भाग्यवश रक्षा मंत्रालय और कानून मंत्री द्वारा। उन्होंने कहा, दासू एविएशन और मुकेश अंबानी की कंपनी के बीच कभी भी इस तरह का कोई सहमति पत्र पर हस्ताक्षर नहीं हुआ। सुरजेवाला ने कहा, उनके पास रिकार्ड हैं। हम कानून मंत्री और रक्षामंत्री (निर्मला सीतारमण) को चुनौती देते हैं कि वे इस तरह का कोई दस्तावेज सार्वजनिक कर के दिखाएं। चूंकि कोई दस्तावेज है ही नहीं, तो झूठ बेनकाब हो जाएगा।

दबाव की जानकारी नहीं: ओलांद

शनिवार को ओलांद ने रिलायंस को लेकर भारत सरकार की ओर से किसी दबाव के बारे में पूछे जाने पर कहा कि उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं है। इस संबंध में दासू ही कोई टिप्पणी कर सकती है।

बेवजह का विवाद: इधर, रक्षा मंत्रालय ने फिर कहा, सौदे में रिलायंस के चयन में सरकार की कोई भूमिका नहीं है। मंत्रालय ने कहा, ओलांद के बयान को पूर्ण संदर्भ में देखा जाना चाहिए, जिसमें फ्रांसीसी मीडिया ने पूर्व राष्ट्रपति के करीबी लोगों के हितों के टकराव का मुद्दा उठाया था। यह बेवजह का विवाद है। बता दें कि एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया था कि 2016 में भारत में गणतंत्र दिवस समारोह में ओलांद के शामिल होने से दो दिन पहले ही अंबानी की रिलायंस एंटरटेनमेंट ने उनकी साथी जूली गयेट के साथ एक फ्रांसीसी फिल्म निर्माण का समझौता किया था। इसी यात्रा के दौरान भारत को 36 रफाल विमान सौंपने के लिए ओलांद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एक समझौता ज्ञापन (एओयू) पर हस्ताक्षर किया था। ओलांद ने एक फ्रांसीसी न्यूज वेबसाइट मीडियापार्ट डॉट एफआर को दिए इंटरव्यू के दौरान इसी संबंध में पूछे गए सवाल के जवाब में कहा था, अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस को इस सौदे में शामिल करने में हमारी कोई भूमिका नहीं थी। भारत सरकार ने इस कंपनी का नाम प्रस्तावित किया और दासू ने रिलायंस डिफेंस से समझौता किया। हमारे पास कोई विकल्प नहीं था। मैं तो सोच भी नहीं सकता हूं कि इससे जूली गयेट की फिल्म का कोई संबंध भी हो सकता है।

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