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नार्वे के वैज्ञानिकों का कमाल: समुद्र में होने वाले प्रदूषण को रोकने को मरी मछलियां चलाएंगी जहाज

एक जहाज कंपनी की पहल, 2026 तक 6 जहाजों को कार्बन मुक्त बनाने की योजना

Dec 01, 2018 / 10:10 am

Pradeep kumar

Hurtigruten ships

नार्वे के वैज्ञानिकों का कमाल: समुद्र में होने वाले प्रदूषण को रोकने को मरी मछलियां चलाएंगी जहाज

ओस्लो. समंदर में प्रदूषण रोकने के लिए नए-नए तरीकों का इस्तेमाल हो रहा है। इसी दिशा में नॉर्वे की एक जहाज कंपनी ने पहल की है। कंपनी अब अपने जहाजों को चलाने के लिए मरी हुई मछलियों का इस्तेमाल करेगी। क्रूज शिपिंग कंपनी हर्टिंग्रुटेन ने यह ऐलान किया है।
कंपनी कार्बन उत्सर्जन करने वाले ईंधन का इस्तेमाल बंद कर देगी और जहाज चलाने के लिए समुद्र की मरी हुई मछलियों से पैदा होने वाली तरल बायोगैस का इस्तेमाल करेगी। इस तरह के जहाजों में बैटरी भी लगाई जाएगी। कंपनी के सीईओ डेनियल शेलडम के मुताबिक, मरी हुई मछलियां जहां समुद्री पर्यावरण के लिए परेशानी खड़ी कर सकती हैं, वहीं हमारे लिए यह एक नया संसाधन है। अभी ज्यादातर जहाजी कंपनियां सस्ते और प्रदूषण फैलाने वाले ईंधन का सहारा ले रही हैं, लेकिन हमारे जहाज प्राकृतिक तरीकों से चलेंगे। डेनियल कहते हैं 2019 तक हम दुनिया का पहला हाइब्रिड क्रूज शिप लॉन्च कर करेंगे, यह अपनी तरह का पहला प्रयोग होगा।
2019 तक पहला हाइब्रिड क्रूज शिप लॉन्च

125 साल पुरानी हर्टिंग्रुटेन के पास 17 जहाजों का बेड़ा है। कंपनी 2026 तक अपने 6 जहाजों को बायोगैस से चलने लायक बनाना चाहती है। हर्टिंग्रुटेन का कहना है कि वह 2019 तक दुनिया का पहला हाइब्रिड क्रूज शिप लॉन्च कर देगी। इस तरह के जहाजों में बैटरी भी लगाई जाएंगी। शिप को दो अलग-अलग तरीकों से स्वच्छ ऊर्जा से चलाया जा सकेगा। कंपनी का कहना है कि यह अपनी तरह का पहला प्रयोग होने वाला है।
Hurtigruten ships
जीवाश्म ईंधन से जलवायु परिवर्तन का खतरा

जीवाश्म ईंधन समुद्री जीवन के लिए बड़ा खतरा है। इसके जरिए पानी में सल्फर जैसे प्रदूषक मिल जाते हैं, जो मछलियों के साथ-साथ समुद्र में रहने वाले बाकी जीवों के लिए भी खतरनाक हैं। जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल से जलवायु परिवर्तन का बड़ा खतरा पैदा होता है। दूसरी तरफ मरी हुई मछलियों से पैदा होने वाली मीथेन से आसानी से ज्यादा ऊर्जा पैदा की जा सकती है।

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