इस वजह से उठ रही है वीजा की मांग
इस मांग के पीछे एक रिपोर्ट है, जिसके जारी होने के बाद ये फैसला लिया गया। दरअसल संसदीय समूह ने विदेशी छात्रों में उच्च शिक्षा के लिए सबसे आकर्षक स्थानों में अपने देश की स्थिति को लेकर एक रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट में पता चलता है कि पिछले आठ सालों में ब्रिटिश विश्वविद्यालयों में प्रवेश लेने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में भारी कमी आई है। इस कमी को पूरा करने के लिए ये वीजा जारी करने की मांग उठाई गई है।
तत्काल लागू करने की जरूरत
अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए कार्यरत सर्वदलीय संसदीय समूह (एपीपीजी) ने ‘ब्रिटेन में अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए एक सतत विकास’ नाम की रिपोर्ट जारी की है। इसमें कहा गया कि ब्रिटेन के सातवें सबसे बड़े निर्यात बाजार में सतत विकास जारी रखने वाले महत्वाकांक्षी और सकारात्मक योजनाओं के लिए ये वीजा जरूरी है। साथ ही कहा गया कि भारत जैसे विकासशील देशों से आने वाले छात्रों की संख्या में आ रही कमी पर रोक लगाने के लिए इसे तत्काल लागू करने की जरूरत है।
2015-16 में सिर्फ नौ हजार भारतीय छात्र
आपको बता दें कि रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि ब्रिटेन साल 2010-11 से 2016-17 के बीच भारत के छात्रों की संख्या आधी रह गई थी। ब्रिटेन के उच्च शिक्षा सांख्यिकी एजेंसी (एचईएसए) की माने तो इसका मुख्य कारण पीएसडब्ल्यू वीजा हटना है। गौरतलब है कि साल 2010-11 में ब्रिटेन जाने वाले भारतीय छात्रों की संख्या 24 हजार थी जो 2015-16 में घटकर सिर्फ नौ हजार रह गई थी।