वन विभाग को जानकारी मिली थी कि वन्यजीव संरक्षण अधिनियम में संरक्षित प्रजाति के कछुओं को पकड़कर उन्हें तस्करी के लिए ले जाया जा रहा है। सटीक सूचना पर वन विभाग तथा एसटीएफ की टीम ने थाना क्षेत्र चौबिया के अंतर्गत यह कार्रवाई की। सूचना मिली थी कि गांव चौपुला से इन कछुओं को बोरों में भरकर तस्करी के लिए एक कार से ले जाया जाएगा। इस सूचना पर वन विभाग व एसटीएफ की संयुक्त टीम ने शुक्रवार को सुबह 4 बजे चौपुला गांव के पास छापा मारा तो एक सफेद रंग की गाड़ी यूपी 75एम 9866 इटावा की ओर आती हुई दिखाई दी। मुखबिर की इशारा करने पर टीम ने इस गाड़ी को घेरकर रोक लिया। वन विभाग व एसटीएफ की टीम को देखकर गाड़ी में बैठे लोगोें ने भागने का प्रयास किया, लेकिन वन विभाग की टीम ने इन्हें दौड़कर पकड़ लिया। कार की तलाशी लेने पर उसमें 10 बोरियों में कछुए भरे हुए थे। इन चारों व्यक्तियों को कछुओं के साथ पकड़कर वन विभाग के कार्यालय लाया गया और कछुओं की गिनती कराई गई तो इसमें 327 कछुए बरामद हुए। इनमें से 322 कछुए सुंदरी प्रजाति के तथा पांच कछुए इंडियन ब्लैक स्पॉटेड प्रजाति के हैं। वन्यजीव विशेषज्ञ संजीव चौहान भी टीम के साथ रहे और उन्होंने कछुओं की प्रजाति को पहचाना।
इन सभी पकड़े गए अभियुक्तों को वन विभाग के कार्यालय लाया गया, जहां से उन्हें जेल भेजा जाएगा। डीएफओ सत्यपाल ने बताया कि वन्यजीव अधिनियम 1972 की धारा-9, 39डी, 48, 50 व 51 का उल्लंघन किया गया है। इसी के अंतर्गत कार्रवाई की जाएगी। डीएफओ ने यह भी बताया कि एसटीएफ की टीम को जानकारी मिली थी, उसके बाद एसटीएफ व वन विभाग ने मिलकर इन अभियुक्तों को पकड़ने की योजना बनाई, जिसमें कामयाबी भी मिली।
ये हैं पकड़े गए अरोपी
रामशरन पुत्र सिपाहीलाल, सरस्वती बिहार कोकपुर शाला किशनगोपाल पुत्र गंगाराम, कोकपुरा आईटीआई खोखन मंडल पुत्र अनंत मंडल, कृष्णा कॉलोनी रुद्रपुर ऊधमसिंह नगर रक्षपाल पुत्र मेघ सिंह, आलमपुर हौज सारंगपुरा
इस टीम ने की छापेमारी
एसटीएफ निरीक्षक राजेशचंद्र त्रिपाठी, शिवेंद्र सिंह सेंगर, आलोक रंजन, राम सिंह, त्रिदेव मिश्रा, प्रभारी वन क्षेत्राधिकारी बसरेहर शिवकुमार, अजीत पाल, राजेन्द्र प्रसाद शर्मा, प्रबल प्रताप सिंह, ताबिश अहमद, श्रीनिवास पांडेय, ज्ञानेश कुमार, संतोष कुमार।
उत्तराखंड ले जाने की थी तैयारी
इटावा। पकड़े गए 327 कछुओं को तस्करी के माध्यम से उत्तराखंड ले जाए जाने की तैयारी थी, इसके बाद इन्हें अन्य स्थानों पर भेजा जाता है। डीएफओ सत्यपाल व एसटीएफ के निरीक्षक राजेशचंद्र त्रिपाठी ने बताया कि पकड़े गए आरोपियों से पूछताछ से यह पता चला है कि इन कछुओं को तस्करी के लिए ले जाया जा रहा था। पहले इन्हें उत्तराखंड ले जाते, उसके बाद अन्य स्थानों पर भेजे जाने की तैयारी थी। यह एक गिरोह है जो कछुओं की तस्करी के काम में लगा है। पकड़े गए आरोपियों से पूछताछ से कुछ अन्य लोगों का भी पता चल सकता है।
लाखों रुपये कीमत के हैं कछुये
इटावा। एसटीएफ व वन विभाग की टीम की छापेमारी में पकड़े गए 327 कछुओं की अंर्तराष्ट्रीय बाजार में कीमत लाखों रुपये की बताई जा रही है। पकड़े गए आरोपियों ने बताया कि वह 50 रुपये में कछुए खरीदते थे और उन्हें 600 से 700 रुपये किलो के हिसाब से बिक्री करते थे। इससे उन्हें खासा मुनाफा होता था। इन आरोपियों से कछुए खरीदने वाले उन्हें अंर्तराष्ट्रीय बाजार में और भी अधिक कीमत पर खरीदते हैं। कछुए की कैल्पी से कई नशे की दवाईयां विदेशों में तैयार होती हैं। उत्तराखंड के अलावा पश्चिम बंगाल व अन्य क्षेत्रों में भी जाकर कछुओं की सप्लाई करते थे।