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चंबल संग्रहालय उद्घाटन समारोह का पोस्टर जारी, 26 सितंबर को जुटेंगी ये दिग्गज हस्तियां

locationइटावाPublished: Sep 18, 2018 08:38:13 am

चंबल संग्रहालय का विधिवत उद्घाटन समारोह महान क्रांतिकारी पत्रकार पं. सुंदरलाल के जन्मदिवस के मौके पर होगा…

Chambal sangrahalay udghatan samaroh poster in etawah

चंबल संग्रहालय उद्घाटन समारोह का पोस्टर जारी, 26 सितंबर को जुटेंगी ये दिग्गज हस्तियां

इटावा. चौगुर्जी स्थित चंबल संग्रहालय का विधिवत उद्घाटन समारोह महान क्रांतिकारी पत्रकार पं. सुंदरलाल के जन्मदिवस के मौके पर होगा। यह समारोह आगामी 26 सितंबर को सुबह साढ़े ग्यारह बजे से चाणक्य होटल सभागार में होगा। इस अवसर पर विश्वविख्यात शिक्षाविद्, लेखक, नाटककार, पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ताओं के इलावा कर्मवीर सुंदरलाल के परिवार से जुड़े लोग भी शामिल होंगे। उद्घाटन समारोह का पोस्टर जारी किया गया और कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए चंबल घाटी के प्रमूख लोगों की उद्घाटन समारोह समिति बनाई बनाई गई है, जिसमें चंबल घाटी के तीनो राज्यों उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान शामिल हैं।
समारोह समिति में मुख्य रूप से शामिल हैं यह लोग

इटावा, औरैया, जालौन, भिन्ड, मुरैना और धौलपुर जनपद के प्रमूख सरोकारी शख्सियतों शामिल किया गया है. इनमें किशन पोरवाल, दिनेश शाक्य, बृजेन्द्र गुप्ता एडवोकेट, प्रेमशंकर यादव, अनुराग असफल, आनंद कुशवाहा, केपी सिंह, योगेश जादौन, डा. कुश चतुर्वेदी, देवेन्द्र सिंह चौहान एडवोकेट, विनोद त्रिपाठी, इं.योगेश यादव, जीशान अख्तर, डा. अवधेश कुमार सिंह, देवाशीष आर्या, कुलदीप बौद्ध, डा. जितेन्द्र बिसारिया, मास्टर विनोद सिंह गौतम, बृजेश यादव, सईद नकवी, अश्विनी शर्मा, प्रदीप यादव एडवोकेट हैं।
यह होंगे विशेष आमंत्रित अतिथि

इसके साथ ही कार्यक्रम में विशेष आमंत्रित अतिथि के रूप में अनिल वर्मा (प्रसिद्ध लेखक, विधि और विधायी कार्य विभाग, म.प्र. शासन), प्रो. धनंजय त्रिपाठी (अन्तर्राष्ट्रीय मामलों के जानकार, सार्क यूनिवर्सिटी), प्रनब मुखर्जी (विश्वविख्यात नाट्य निर्देशक), डा. प्रदीप कुमार (अभिलेखीय अधिकारी, राष्ट्रीय अभिलेखागार), प्रो. प्रिय रंजन (इंटरनेट माडल के लिए विश्व रिकार्ड), अरिंदम घोष (विशेष संवाददाता, टाइम्स आफ इंडिया), अनवर नकवी (पौत्र- कर्मवीर सुंदरलाल) व प्रसिद्ध कवि महेश कटारे सुगम शामिल होंगे।
कौन हैं कर्मवीर सुंदरलाल

सुविख्यात लेखक, राष्ट्रवादी पत्रकारिता के अग्रदूत, आजादी आंदोलन के महान लड़ाका, सांप्रदायिक सद्भाव के प्रबल समर्थक रहे कर्मवीर पं. सुंदरलाल इतिहासकार और दुनियां के तमाम धर्मों के व्याख्याकार थे। विश्व शांति मे गांधी-नेहरू- इंदिरा युग मे पंडित जी अनोखी विभूति थे। कर्मवीर सुंदरलाल ने साप्ताहिक उर्दू स्वराज, कर्मयोगी, दैनिक भविष्य और नया हिन्द का संपादन कर पत्रकारिता को जिन्दा रखा. इसके लिए कई बार कठोर जेल यातना सहा. श्भारत में अंग्रेजीराज पुस्तकश् से बिट्रिश सरकार की चूले हिला देने वाले सुंदरलाल वर्ल्ड पीस काउंसिल के वाइस प्रेसिडेंट के हैसियत से चीन, वियना, कैरो, मास्को, स्टाकहोम, कोलंबो,बर्लिन, लंदन, टोक्यो, वियतनाम, क्यूबा, सोवियत रुस आदि देशों के राष्ट्र प्रमूखों द्वारा आमंत्रित किये गये।
कर्मवीर सुंदरलाल का चंबल कनेक्शन

कर्मवीर सुंदरलाल के जन्मदिवस पर चंबल संग्रहालय का उद्धाटन समारोह उस गौरवशाली विरासत की याद जिन्दा रखना है। कर्मवीर ने डेढ़ महीने से अधिक समय तक चंबल घाटी के विभिन्न ऐतिहासिक धरोहरों का देखा समझा था। इस दौरान एक महत्वपूर्ण किताब भी लिखी थी। कर्मवीर सुंदरलाल ने अपने साथी देश के पहले राष्ट्रपति राजा महेन्द्र प्रताप, दशको तक अंडमान की दंडी बस्ती में कैद रहे पंडित परमानंद, गदर पार्टी के संस्थापक सदस्य पृथ्वी सिंह आजाद आदि चोटी के क्रांतिकारियों और चंबल के बीच सेतु बने।
‘बीहड़ की विरासत’ पर होगी चर्चा

‘नर्सरी आफ सोल्जर्स’ के नाम से चर्चित चंबल घाटी जिसके दामन में बगावत और बलिदान के अनगिनत किस्से दफन हैं। वैसे चंबल के बगावत का इतिहास डेढ़ हजार वर्ष पुराना है इसके बाद तो चंबल की संस्कृति में बांकपन एक रवायत की तरह जुड़ गई। 1857 की जनक्रांति में भी अंग्रेजों को सबसे बड़ी चुनौती चंबल के इलाकों में इसी रवायत के चलते मिली। बंदूक उठाकर बीहड़ कूदना सरकार, राजनीति और पुलिस के संरक्षण में पोसे जाने वाले जालिमों को मटियामेट करने के संकल्प को परिभाषित करने वाला मुहावरा बन गया। चंबल के इलाके में जगह-जगह उन क्रांतिवीर हुतात्माओं के स्मारक स्थापित किए जाएं. चंबल पुरातात्विक सभ्यता की भी खान है।
रिलीज होगी चंबल पर महत्वपूर्ण किताब

‘1857 और पचनद घाटी के रणबांकुरे’ नामक पुस्तक चंबल घाटी के भूले बिसरे आजादी जननायकों का उत्खनन कर शानदार रेखाचित्र पस्तुत करती है। इस किताब के लेखक जन इतिहासकार देवेन्द्र सिंह चौहान हैं जिनके पिता जसवंत सिंह और भाई डा. महेश सिंह ने जंग-ए- आजादी में शहादत दी थी।
चंबल संग्रहालय में आजादी आंदोलन का जखीरा

संग्रहालय में 17वीं शताब्दी से दस्तावेज उपलब्ध हैं, करीब 40हजार दुर्लभ डाक टिकटों, 6 हजार पत्रों, प्राचीन तीन हजार सिक्कों के अलावा 20 हजार दस्तावेज मौजूद हैं। चांद, प्रभा, सुधा, सरस्वती, माधुरी, विश्व मित्र, सुकवि, कन्या मनोरंजन, नवजीवन विशाल भारत, हंस, सारिका, धर्मयुग, दिनमान, साप्ताहिक हिन्दुस्तान आदि सहित देशी-विदेशी नौ हजार दुर्लभ पत्रिकाओं के पन्नों पर आजादी आंदोलन का इतिहास बिखरा पड़ा है।
पोस्टर रिलीज में शामिल रहे प्रमुख लोग

राम जन्म सिंह, मु बशीर सईद उद्दीन, डा. जेपी यादव, डा. ए प्रसाद, पुष्पेन्द्र पालीवाल, मनीष कुमार सहाय, डा. शैलेन्द्र कुमार शर्मा, राम सूरत सिंह यादव, जलील अहमद, सुनील चतुर्वेदी, खादिम अब्बास, रजत सिंह, रोली यादव समेत कई लोग पोस्टर रिलीज कार्यकर्म में शामिल हुए।

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