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मायावती के अली-बजरंगबली वाले बयान पर भाजपा नेता का पलटवार, सपा-बसपा गठबंधन पर भी तीखी प्रतिक्रिया

locationइटावाPublished: Apr 14, 2019 04:42:13 pm

Submitted by:

Hariom Dwivedi

इटावा से भाजपा प्रत्याशी रामशंकर कठेरिया ने बहुजन समाज पार्टी पर साधा निशानावोटों के समय बंजरगबली का सहारा ले रही हैं मायावती गठबंधन का आम मतदाताओं से कुछ लेना-देना नहीं : कठेरिया

Ram Shankar Katheria

मायावती के अली-बजरंगबली वाली प्रतिक्रिया पर भाजपा नेता का पलटवार, सपा-बसपा गठबंधन पर भी दिया बड़ा बयान

इटावा. संसदीय चुनाव में वोट हथियाने के लिए बजरंगबली और अली को लेकर भारतीय जनता पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के नेताओं के बीच जोरदार और तीखी बयानबाजी शुरू हो गई है। बाबा साहेब अंबेडकर की जंयती पर उनकी मूर्ति पर माल्यार्पण करने के बाद इटावा संसदीय सीट से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार और एससी एसटी आयोग के अध्यक्ष डॉ. रामशंकर कठेरिया ने बसपा सुप्रीमो मायावती पर तंज कसते हुए कहा है कि वोटों के समय मायावती बजरंगबली का नाम ले रही हैं। मुझे लगता है बजरंगबली मायावती को ठीक कर देंगे।

कठेरिया का कहना है कि पांच सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यकाल में विकास का जो मॉडल बनाया है, उसके चलते यह उम्मीद है कि देश की जनता एक बार फिर से उनको न केवल प्रधानमंत्री बनाएगी, बल्कि भारतीय जनता पार्टी की फिर से पूर्ण बहुमत की सरकार केंद्र में काबिज करेगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुशासन, राष्ट्रवाद और विकास की दिशा में काम किया है उससे देशवासियों में एक नई ऊर्जा का संचार हुआ है। महंगाई, भ्रष्टाचार और आतंकवाद के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो मुहिम शुरू की है उस मुहिम को लंबे समय तक देश में संचालित किए जाने की बेहद आवश्यकता है और यह मुहिम तभी संचालित हो सकती है जब एक बार फिर से भारतीय जनता पार्टी की सरकार केंद्र मे काबिज हो और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री के रूप में स्थापित हो।
गठबंधन का आम मतदाताओं से कुछ लेना-देना नहीं
उन्होंने दावा किया कि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन केवल नेताओं के आपसी तालमेल का गठबंधन है। इस गठबंधन से आम मतदाता का कोई लेना देना नहीं है। चुनाव के बाद दोनों दल के प्रमुख एक दूसरे के खिलाफ मुखर होते हुए नजर आएंगे। भले ही आंकड़े उनके पक्ष में बताए जा रहे हों, लेकिन ऐसा हकीकत में नहीं है क्योंकि दोनों दल पहले ही पूरे प्रदेश भर में आधी आधी सीटो पर संसदीय चुनाव लड़ रही हैं। उन्होंने कहा कि सपा बसपा गठबंधन कोई मायने नहीं रखता है क्योंकि एक दूसरे संगठन के लोग एक दूसरे को हराने में जुटे हुए ऐसी खबरें उनके पास में आ रही है उनकी सभाओं में भीड़ भी नहीं मिट रही है, केवल जाति सम्मेलन के बल पर वो अपने आप को आगे बताने में जुटे हुए हैं जबकि हकीकत में दोनों दल भाजपा के मुकाबले कहीं भी नहीं टिक रहे हैं।
गठबंधन वाले समर्थकों को कर रहे गुमराह- कठेरिया
कठेरिया ने कहा कि दोनों दल के मुखिया अपने अपने दलों के समर्थकों को तरह तरह का प्रलोभन देकर के गुमराह करते रहते हैं, लेकिन अब लोग काफी जागरूक हो चुके हैं। इस जागरूकता का असर 2014 के संसदीय चुनाव में तो दिखाई ही दिया है। 2017 के विधानसभा चुनाव में भी नजर आया। विधानसभा में दोनों दलों की विधायक संख्या भी इतनी कम हो चुकी है कि जो कहीं पर भी मुकाबले में खड़े होते हुए नहीं दिखाई दे रहे हैं।
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