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यूपी के इस शहर में ‘गांधी’ के नाम से जाने जाते हैं, नाम है दयाराम ‘पागल’, पढ़िए 70 साल के इस शख्स की दिलचस्प कहानी

locationएटाPublished: Nov 02, 2018 01:42:27 pm

Submitted by:

suchita mishra

70 साल के दयाराम ने पूरे जीवन गांधी जी के आदर्शों पर चले। 35 सालों से लोगों के लिए सरकार से जंग लड़ रहे हैं। लोग उन्हें प्यार से दयाराम ‘पागल’ कहते हैं।

dayaram pagal

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एटा। यूं तो आपने तमाम समाजसेवियों के महान कार्यों की कहानियां सुनी होंगी, लेकिन आज हम आपको ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं जो पिछले 35 सालों से गांधी जी के आदर्शों पर चल रहा है। 70 साल की उम्र में भी वो लोगों के लिए बगैर थके निरंतर काम करता रहता है। लोगों के प्रति उनका समर्पण देखकर लोग उन्हें ‘पागल’ तक बुलाने लगे, लेकिन इसे उन्होंने लोगों का प्यार समझ स्वीकार कर लिया और आज उन्हें एटा शहर में दयाराम ‘पागल’ के नाम से जाना जाता है।
कहलाते हैं एटा के गांधी
दुबले पतले शरीर वाले दयाराम को लोग एटा का गांधी भी बुलाते हैं। वे लोगों की मूलभूत सुविधाओं जैसे सिंचाई, पानी, स्वास्थ्य, सड़क जैसे मुद्दों के लिए लखनऊ से लेकर दिल्ली तक कई बार अनशन कर चुके हैं। 35 सालों से उनकी ये जंग जारी है। जलेसर गांव के नगला मीरा में जन्मे दयाराम ने बताया कि वे इसके लिए कई बड़े-बड़े नेताओं से भी गुहार लगा चुके हैं। सुनवाई न होने पर 1983 से उन्होंने ये लड़ाई शुरू की। वे बताते हैं कि सबसे पहले वे जिले की तहसील जलेसर क्षेत्र के लिए लड़े। वहां 60 किमी के दायरे में 20 लाख से ज्यादा लोग खारे पानी की विकट समस्या से जूझ रहे है। खारे पानी के चलते कृषि योग्य भूमि बंजर हो गयी है। जिसके चलते क्षेत्रीय किसान परेशान थे। इस समस्या को लेकर उन्होंने 1983 से 1986 तक लड़ाई लड़ी। इस दौरान वे 29 बार एटा के जिलाधिकारी से मिले, फिर भी कामयाबी नहीं मिली तो लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष बलराम जाखड़ के पास जा पहुंचे। उन्होंने शासन से अनुमति ली, इसके बाद सिंचाई के लिए नहर व बम्बा निर्माण हुआ।
मीठा पानी दिलाने के लिए अनशन पर बैठे
किसानों की समस्याओं को लेकर दयाराम पागल ने करीब ढाई महीने तक अनशन किया। जलेसर तहसील क्षेत्र के नगला मीरा में खारे पानी की समस्या को लेकर इतने परेशान थे कि उनकी प्यास नहीं बुझती थी। उन्होंने उन लोगों के लिए मीठा पानी ढूंढने के लिए उन्नीस सौ स्थानों पर बोरिंग कराई। मीठा पानी मिलने के बाद जिला प्रशासन से गांव में पानी की टंकी बनवाने के लिए लखनऊ तक संघर्ष किया। इसके बाद जाकर कामयाबी मिल सकी।
अन्ना हजारे के साथ भी कर चुके हैं अनशन
दयाराम पागल कई बार भ्रष्टाचार के मुद्दों को लेकर आवाज उठा चुके हैं। वे तीन बार अन्ना हजारे के साथ अनशन कर चुके हैं। भ्रष्टाचार से वे इतने दुखी हुए कि उन्हें कुर्सी से नफरत हो गई। उन्होंने कुर्सी पर बैठना बंद कर दिया। 1990 से कुर्सी पर बैठना छोड़ चुके हैं। बैठने के लिए वे जमीन का प्रयोग करते हैं।
गंगा के पानी के लिए मिले राज्यपाल से
दयाराम का मानना है किजलेसर के 60 किमी क्षेत्र में रजवाहे हैं और यदि नहरों के जरिए गंगा के पानी को उसमें छोड़ दिया जाये तो किसान खेती आसानी से कर सकेंगे और खेती का एक बहुत बड़ा भूभाग बंजर होने से बच जाएगा। इस समस्या को लेकर दयाराम पागल उत्तर प्रदेश के मौजूदा गर्वनर राम नाईक से भी मिले और करीब 41 मिनट तक इस मसले पर उनकी उनसे बातचीत भी हुई। फिलहाल उन्हें समस्या के निदान का आश्वासन मिला है।
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