“धूम: 3”- गति और आमिर का रोमांच
Published: Jan 16, 2015 12:12:00 pm
यह एक बदले की कहानी है। चोर-पुलिस की कहानी है। यह परिवार के रिश्तों की कहानी…
यह एक बदले की कहानी है। चोर-पुलिस की कहानी है। यह परिवार के रिश्तों की कहानी है, इन सबसे ऊपर यह सिर्फ और सिर्फ आमिर खान की फिल्म है।
“धूम 3” देखते हुए आपको गति और चोर पुलिस की लुका छिपी का रोमांच मिलता है, जिसे बहुत मेहनत से फिल्माया गया है।
लेकिन क्या एक फिल्म को श्रेष्ठ होने के लिए सिर्फ इतना ही चाहिए? हां, हमारे परम्परागत दर्शकों के लिए यह पर्याप्त मसाला है, लेकिन कहानी के बारे में आप सब जानते हैं।
इस श्रृंखला की पहली और दूसरी फिल्में ऎसी ही थीं कि एक चोर है और दो पुलिस वाले हैं, जो उसे पकड़ने के लिए जाल बिछाते हैं, लेकिन चोर उनसे ज्यादा चालाकहै। उस चोर की बाइक वक्त के साथ और भी आधुनिक हो गई है।
वह लगभग सुपरमैन की तरह काम करता है। उसके हैरतअंगेज पुष्टि के लिए कोई तर्क नहीं गढ़ता। हां, कुछ जगह तर्क हैं और वे तर्क फिल्म को इंटरवल तक एक थ्रिलर की तरह बना देते हैं।
निर्माता आदित्य चोपड़ा और निर्देशक विजय कृष्ण आचार्य की “धूम 3” में साहिर खान (आमिर खान) अपने पिता के द ग्रेट इंडियन सर्कस में बचपन से काम करता रहा है।
उसके पिता को बैंकके कर्ज की वजह से मरना पड़ता है। बैंक उस पर कोई रहम नहीं करता। साहिर उसी बैंक को बर्बाद करने के लिए उसमें बार-बार चोरी करता है और अपने मकसद में कामयाब होता है।
मंुबई पुलिस के एसीपी जय (अभिषेक बच्चन) और उनके सहयोगी अली(उदय चोपड़ा) इसी चोर को पकड़ने के लिए शिकागो आते हैं और बार-बार चोर उन्हें छकाता है।
कैसे छकाता है और कैसे वह हर बार पुलिस की नाक के नीचे से चोरी करके चला जाता है, यह देखना एक दिलचस्प अनुभव है।
फिल्म कहीं भी बोर नहीं करती, फिर भी मौलिक नहीं है। लिहाजा इसे प्रभावी बनाने के लिए आमिर की सितारा छवि काम आती है।
आमिर ने मेहनत और ईमानदारी से चोर और सर्कस कलाकार के हर किरदार को बेहद प्रभावी ढंग से निभाया है। वे फिल्म की सबसे बड़ी ताकत है। कैटरीना कैफ फिल्म में शो पीस की तरह इस्तेमाल हुई है।
अभिषेक और उदय को करने को कुछ खास नहीं है। वे अंत तक फिल्म और कहानी दोनों, ही स्तरों पर लूजर नजर आते हैं। गीत-संगीत प्रभावशाली है और “मलंग” गाना बेहद खूबसूरती से फिल्माया गया है। “धूम” अति नाटकीय बाइकिंग और आमिर खान के लिए एक बार देखी जा सकती है।