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नौकरशाहों में बढ़ रहा है राजनीति में आने का सिलसिला

Published: Sep 10, 2018 03:12:42 pm

छत्तीसगढ़ में सरकारी नौकरी छोड़कर राजनीति में किस्मत आजमाने का शौक लगातार बढ़ रहा है।

Bureaucrats in politics

Bureaucrats in politics

छत्तीसगढ़ में सरकारी नौकरी छोड़कर राजनीति में किस्मत आजमाने का शौक लगातार बढ़ रहा है। नवम्बर के अन्त में राज्य में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले एक बार फिर नौक रशाहों के राजनीति में आने का सिलसिला शुरू हो गया है। भारतीय प्रशासनिक सेवा के युवा अधिकारी एवं रायपुर के कलेक्टर रहे ओ.पी.चौधरी ऐसे पहले अधिकारी हैं जिन्होंने महज 13 वर्ष की नौकरी को अलविदा कहकर सत्तारूढ़ भाजपा में शामिल हो गए हैं। भाजपा में शामिल होते ही पार्टी ने उन्हें युवा आईकॉन के रूप में प्रोजेक्ट करना शुरू कर दिया है। पार्टी ने उन्हें रायगढ़ जिले की खरसिया सीट से चुनाव लड़ाने का भी संकेत दिया है जिस पर आजादी के बाद कभी भी भाजपा को सफलता नहीं मिल सकी है।

चौधरी राज्य में राजनीतिक में आने वालों में पहले नौकरशाह नहीं हैं, बल्कि इसके पूर्व भी एक दर्जन से अधिक नौकरशाहों ने राजनीति में प्रवेश किया, जिसमें कुछ ने नौकरी छोड़कर तो कुछ ने सेवानिवृति के बाद। मौजूदा विधानसभा में पांच विधायक ऐसे हैं जो पूर्व में शासकीय सेवक रहे हैं। इस समय राज्य में 10 से ज्यादा नौकरशाह राजनीति में सक्रिय हैं। राज्य के नौकरशाहों में अविभाजित मध्यप्रदेश के समय से ही राजनीति में आने का शौक रहा है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी इसके सबसे बड़े उदाहरण रहे हैं। रायपुर, शहडोल एवं इन्दौर जैसे बड़े शहरों के कलेक्टर रहे जोगी राज्यसभा एवं लोकसभा सदस्य रहने के साथ ही राज्य के आस्तित्व में आने पर छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री बने।

राजनीतिक जानकारों का माना है कि जोगी के राज्य की राजनीति के शिखर पद पर पहुंचने से नौकरशाहों में राजनीति में पदार्पण के प्रति उत्साह एवं आकर्षण बढ़ा है। जोगी की पत्नी डॉ. रेणु जोगी (मौजूदा विधानसभा में विधायक) भी रायपुर के शासकीय जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में नेत्र विभाग की विभागाध्यक्ष थी और 2004 में जोगी के एक सड़क दुर्घटना मेंं घायल होने के बाद नौकरी छोड़कर राजनीति में आ गई थीं।

राज्य में 2013 में हुए विधानसभा चुनावों में उप पुलिस अधीक्षक आर.के.राय ने नौकरी छोड़कर राजनीति में प्रवेश किया। उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर गुंडरदेही से पहला चुनाव लड़ा और विधायक चुन लिए गए। आहिवारा से विधायक सांवलाराम डहरे वाणिज्यककर अधिकारी रहे हैं। पुलिस से सेवानिवृत हुए रामलाल चौहान भाजपा से सरायपाली से विधायक हैं। इसी तरह पिछले विधानसभा चुनाव में श्यामलाल कंवर भी पुलिस से सेवानिवृत होकर कोरबा जिले की रामपुर सीट से कांग्रेस की टिकट पर विधायक चुने गए। रामविचार नेताम शिक्षक रहे हैं। लगातार दो बार विधायक और मंत्री रहने के बाद अभी वे भाजपा से राज्यसभा सदस्य हैं।

इसके पूर्व पुलिस की नौकरी छोड कर पीआर खुंटे विधायक और सांसद बने थे। उनसे पहले कृषि अधिकारी फूलसिंह भी विधायक रह चुके हैं। इस बार होने वाले विधानसभा चुनावों में भी कई नौकरशाह चुनावी मैदान में कूदने वाले हैं। सेवानिवृत आईएएस एमएस पैकरा और सेवानिवृत एसडीओ अर्जुन हिरवानी को जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ ने अपनी पार्टी से प्रत्याशी बनाया है। पैकरा पत्थलगांव और हिरवानी संजारी-बालोद विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे।

अपर मुख्य सचिव के पद से सेवानिवृत आईएएस सरजियस मिंज और सचिव के पद से सेवानिवृत आरपीएस त्यागी ने हाल ही में कांग्रेस का दामन थाम लिया है। अभी तो यह स्पष्ट नहीं है कि इन्होंने विधानसभा टिकट की दावेदारी की है या नहीं। वैसे मिंज के लोकसभा चुनावों में मैदान में उतरने की खबरें हैं। सेवानिवृत आईपीएस शिशुपाल सोरी ने कांग्रेस से अपनी दावेदारी पेश की है। खबरों के मुताबिक वे कांकेर विधानसभा से चुनाव लडऩे की तैयारी कर रहे हैं।

उप पुलिस अधीक्षक विभोर सिंह ने कोटा से तो थानेदार गिरिजाशंकर जौहर मस्तुरी से कांग्रेस से टिकट की मांग कर रहे हैं। राज्य में नौकरशाहों की पहली पसन्द कांग्रेस एवं दूसरी पसन्द भाजपा रही है। भाजपा के काडर आधारित पार्टी होने के चलते नौकरशाहों का झुकाव कम था, लेकिन अब पार्टी में आए बदलाव के बाद भाजपा के प्रति भी उनका आकर्षण बढ़ रहा है। ओ.पी.चौधरी इसके ताजा उदाहरण हैं। पार्टी ने उन्हें हाथो हाथ लिया है। राज्य में पहली बार किसी नौकरशाह को किसी पार्टी ने राजनीति में पदार्पण के बाद इतनी तरजीह दी है। नौकरशाहों की तीसरी पसन्द अब पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ बन रही है।

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