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2024 में चलेगा मोदी मैजिक? ये सियासी आंकड़े देख कांग्रेस को लगेगा झटका

PM Modi in Chhattisgarh: अब बदले हुए समीकरण के चलते लोकसभा की बड़ी लीड और विधानसभा चुनाव की बढ़त को इस बार बरकरार रखना भाजपा के लिए बड़ी चुनौती होगी…

धमतरीApr 22, 2024 / 03:02 pm

चंदू निर्मलकर

वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार के बाद भी दुर्ग संसदीय सीट पर बंपर जीत दर्ज करने में सफल रही। वहीं नवंबर में हुए विधानसभा चुनाव में प्रदेश की सत्ता छीनने के साथ संसदीय क्षेत्र में शामिल 9 में से 7 विधानसभा क्षेत्र में कब्जा जमा लिया।
इसके बाद भी लोकसभा चुनाव में 3 लाख 91 हजार 978 मतों से जीत का विशाल अंतर विधानसभा चुनाव में घटकर 1 लाख 39 हजार 196 मतों का रह गया। वहीं अब बदले हुए समीकरण के चलते लोकसभा की बड़ी लीड और विधानसभा चुनाव की बढ़त को इस बार बरकरार रखना भाजपा के लिए बड़ी चुनौती होगी। लोकसभा के लिए चुनाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, विरोधियों को घेरने की रणनीतियों और मतों को लेकर गुणा-भाग प्रारंभ हो गया है।
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान क्षेत्र के नौ विधानसभा क्षेत्रों में 19 लाख 40 हजार 269 मतदाताओं में से 13 लाख 91 हजार 996 ने मताधिकार का प्रयोग किया। इनमें से 8 लाख 49 हजार 374 मत प्राप्त कर भाजपा के विजय बघेल ने चुनाव में एकतरफा जीत दर्ज की। इसके विपरीत चुनाव में पराजित कांग्रेस की प्रतिमा चंद्राकर को महज 4 लाख 57 हजार 396 मत मिले।
इस तरह जीत हार का अंतर 3 लाख 91 हजार 978 मतों का रहा। यह मतों की संख्या के लिहाज से भाजपा की सबसे बड़ी जीत थी। इसके साथ ही नवंबर में विधानसभा चुनाव में लोकसभा के 9 विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा के प्रत्याशियों का प्रदर्शन जबरदस्त रहा। इस कारण भाजपा पाटन और भिलाई नगर को छोड़कर शेष सभी 7 विधानसभा दुर्ग ग्रामीण, दुर्ग शहर, वैशाली नगर, अहिवारा, साजा, बेमेतरा व नवागढ़ जीतने में सफल रही।
इन सभी विधानसभा में भाजपा के पक्ष में मतों का अंतर 1 लाख 39 हजार 196 रहा। भाजपा खेमा लोकसभा की विशाल जीत और विधानसभा के इस अंतर को लेकर उत्साहित है। इसके आधार पर चुनाव में जीत का दावा भी किया जा रहा है, लेकिन यह बढ़त लोकसभा चुनाव में भी बरकरार रहेगी, इसे लेकर संशय की स्थिति है।

वर्ष 2014 में जातिय समीकरण से कांग्रेस ने जीता था दुर्ग

वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में इसी जातीय समीकरण के बूते कांग्रेस, मोदी लहर के बाद भी दुर्ग में जीत दर्ज करने में सफल रही थी। तब कांग्रेस ने पूर्व मंत्री ताम्रध्वज साहू को मैदान में उतारा था। तब उनके सामने भाजपा से अगड़े वर्ग की प्रत्याशी सरोज पांडेय थी। इस चुनाव में मोदी लहर के कारण भाजपा की जीत लगभग तय मानी जा रही थी, लेकिन जातीय समीकरण के फायदे के कारण यह सीट करीब 17 हजार वोटों से कांग्रेस ने जीत ली थी।

जातिय समीकरण प्रभावी रहने की संभावना

पिछले लोकसभा चुनाव में दुर्ग संसदीय सीट पर मुकाबला कुर्मी वर्सेस कुर्मी का रहा। चुनाव में भाजपा प्रत्याशी विजय बघेल के पक्ष में मोदी लहर के साथ कुर्मी समाज में उनकी पकड़ भी रहा। इस बार स्थिति थोड़ी अलग है। इस बार मुकाबला कुर्मी वर्सेस साहू हो गया है। संसदीय सीट पर साहू मतदाताओं की संख्या करीब साढ़े 4 लाख है। इसे देखते हुए कांग्रेस ने राजेंद्र साहू को मैदान में उतारा है।

इसलिए कह रहे हैं बदला समीकरण

सामान्य तौर पर लोकसभा सीट पर बाहुल्य वाले साहू समाज का झुकाव भाजपा की ओर माना जाता रहा है। इसका कारण दिवंगत नेता ताराचंद साहू के नेतृत्व को माना जाता है। साहू समाज के झुकाव के कारण भाजपा वर्ष 1996 से 2014 तक लगातार 5 बार सीट पर जीत दर्ज कर चुकी है। वहीं 2014 के चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा के अगड़े प्रत्याशी की जगह साहू समाज के ताम्रध्वज साहू को उतारा। इस चुनाव में समाज का झुकाव साहू प्रत्याशी की ओर रहा। इस बार भी कांग्रेस ने साहू प्रत्याशी मैदान में उतारा है।

5.73 लाख मतदाताओं का बदल गया मूड

वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 16 हजार 848 मतों से जीत दर्ज की थी। इसके बाद नवंबर 2018 के विधानसभा चुनाव में संसदीय क्षेत्र के शामिल 9 में से 8 विधानसभा क्षेत्र में कब्जा जमा लिया। लोकसभा चुनाव में 16 हजार 848 मतों से जीत का मामूली अंतर विधानसभा चुनाव में बढ़कर 1 लाख 81 हजार 992 तक गया, लेकिन इसके तीन माह बाद ही हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने न सिर्फ यह गड्ढा पाट लिया बल्कि 3 लाख 91 हजार 978 मतों के विशाल अंतर से जीत भी दर्ज कर लिया। इस तरह 5 लाख 73 हजार से ज्यादा मतदाताओं का मूड बदल गया।

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