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उत्कृष्ट स्कूल का रिजल्ट रहा निराशाजनक, जिले में भी नहीं मिल सका किसी विद्यार्थी को स्थान, 45 प्रतिशत आया रिजल्ट

कक्षा दसवीं और बारहवीं के रिजल्ट ने सरकारी स्कूलों में चल रही मनमानी की पोल खोल दी है, पढ़ाई के नाम पर लाखों रुपए खर्च किए जाते हैं, लेकिन धरातल पर कुछ नहीं है, ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों की स्थिति दयनीय है, जहां 9 प्रतिशत तक रिजल्ट आया है।

सागरApr 28, 2024 / 12:36 pm

sachendra tiwari

Result of excellence school was disappointing

उत्कृष्ट स्कूल बीना

बीना. सरकारी स्कूलों में कक्षा दसवीं, बारहवीं का परीक्षा परिणाम बेहतर करने के लिए पूरे शिक्षा सत्र में नए-नए प्रयोग किए गए, लेकिन परिणाम निराशा जनक ही रहे। ग्रामीण क्षेत्र के स्कूल, तो पीछे हैं कि उत्कृष्ट स्कूल ने भी निराश किया है। ब्लॉक में कक्षा दसवीं का 47 और कक्षा बारहवीं 56.32 प्रतिशत परिणाम रहा।
बेहतर शिक्षा और सुविधा देने के लिए उत्कृष्ट स्कूल खोला गया है, लेकिन परीक्षा परिणाम उत्कृष्ट नहीं आ रहा है। इस वर्ष कक्षा दसवीं में 135 में से 61 विद्याथीज़् पास हुए और परीक्षा परिणाम 45.44 प्रतिशत रहा। इसी प्रकार कक्षा बारहवीं में 245 में से 142 विद्यार्थी पास हुए और परीक्षा परिणाम 58 प्रतिशत रहा। सीएम राइज स्कूल भी शत-प्रतिशत परीक्षा परिणाम नहीं दे सका, इस स्कूल कक्षा दसवीं का 92.77 प्रतिशत और कक्षा बारहवीं का 94.25 प्रतिशत परीक्षा परिणाम रहा। साथ ही इस बार कक्षा दसवीं में सीएम राइज की एक छात्रा ने प्रदेश में दसवां स्थान भी प्राप्त किया है।
इन स्कूलों ने भी किया निराश

कक्षा दसवीं में कंजिया स्कूल में 35 में से सिर्फ 3 विद्यार्थी पास हो सके और परीक्षा परिणाम 9 प्रतिशत रहा। इसी तरह गौहर का 25 प्रतिशत, बिहरना 21, चमारी 27, बरोदिया कला 30, हिन्नौद 35, करोंदा 20, आगासौद 33, देवल 38, देहरी 36, गौहर 25, मंडीबामोरा 37 और लहरावदा का 28 प्रतिशत रहा। वहीं, कक्षा बाहरवीं में गिरोल स्कूल का 36.60 प्रतिशत, कंजिया 42 प्रतिशत, मंडीबामोरा 35.68 प्रतिशत, सनाई स्कूल का 36.36 प्रतिशत रहा। भानगढ़ और मंडीबामोरा क्षेत्र का कक्षा 1 से लेकर 12 तक का परीक्षा परिणाम खराब आया है।
जिम्मेदार नहीं दे पा रहे जवाब

परीक्षा परिणाम खराब आने को लेकर जब बीईओ से बात करनी चाही, तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। जिम्मेदार खराब परीक्षा परिणाम को लेकर जवाब देने से बच रहे हैं।

नहीं किया गया निरीक्षण

स्कूलों का निरीक्षण करने में बीईओ, संकुल प्राचार्यों ने रुचि नहीं दिखाई और कागजों में ही निरीक्षण होते रहे, जिससे शिक्षकों ने मनमर्जी की। यदि लगातार निरीक्षण कर कमियों को दूर कराया जाता, तो परीक्षा परिणाम अच्छा आता।

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