न्यायाधीश ने कहा कि तमिलनाडु के सभी शैक्षणिक संस्थानों और जिला शिक्षा अधिकारियों को दिशानिर्देश के बारे में बताने की व्यवस्था दी गई थी, ताकि स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा के लिए दिशानिर्देशों को ठीक से लागू किया जा सके। अदालत ने कहा कि इस संबंध में, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा जारी दिशानिर्देशों के संबंध में सेमिनार व जागरूकता शिविर आयोजित करने के लिए जिला शिक्षा अधिकारियों को उचित निर्देश जारी करने का आदेश दिया गया है, ताकि इसे प्रभावी ढंग से लागू किया जा सके।
अदालत ने कहा कि विचार न केवल स्कूलों में शारीरिक दंड को खत्म करने के लिए था, बल्कि बच्चों के उत्पीडऩ के किसी भी अप्रत्यक्ष रूप या उनके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाली परिस्थिति पर भी ध्यान दिया जाना भी इसमें शामिल था। न्यायाधीश ने रजिस्ट्री को मामले को 14 जून को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया।