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राज्य प्रशासनिक और वन सेवा के बाद असिस्टेंट कमांडेंट की नौकरी छोड़, ऐसे बना IAS : जानें

locationजयपुरPublished: Mar 03, 2019 02:03:31 pm

Submitted by:

Deovrat Singh

Success Story of IAS Shiv prasad madan nakate

Success Story of IAS Shiv prasad madan nakate

Success Story of IAS Shiv prasad madan nakate

Shiv prasad madan nakate : सफलता के पीछे अक्सर मेहनत और संघर्ष की कहानी छुपी होती है। जिनके इरादे, सपनों को साकार करने के लिए बनाए जाते हैं, उन्हें शायद कोई नहीं तोड़ सकता। जिन्होंने भी सफलता के मुकाम को हासिल किया है उनके पीछे संघर्ष काफी रहा है। आज ऐसे IAS अफसर शिवप्रसाद मदन नकाते सफलता की कहानी हम आपको बताने जा रहे हैं। शिवप्रसाद मदन नकाते महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव माडा से आते हैं। अपने सपनों को साकार करने के इरादे लेकर चले शिव प्रसाद को मध्य में 3 नौकरियां भी मिली, जीने ठुकराकर उन्होंने लक्ष्य को सामने रखा। तैयारी का नतीजा उनके सामने था, उन्होंने पहले ही प्रयास में IAS के लिए एग्जाम पास किया।
शिवप्रसाद का जन्म किसान परिवार में हुआ
शिवप्रसाद का जन्म महाराष्ट्र में सोलापुर जिला मुख्यालय से करीब 70 किलोमीटर दूर गांव माडा के साधारण किसान परिवार में हुआ था। बचपन गाँव में ही गुजरा। उनके पिता मदन नकाते एक किसान होने के साथ ही सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं। पिताजी के नक्शेकदम ही शिवप्रसाद को भी लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए प्रेरणा मिली। ग्रामीण परिवेश के सरकारी स्कूल में मराठी मीडियम में 10वीं तक पढ़ाई की। पढाई के दौरान ही यूपीएससी का सिविल सर्विसेज का एग्जाम पास करके आईएएस बनने का सपना देखा। जिन्होंने भी सपना देखा है और जज्बा पाला है उन्होंने जूनून के साथ साकार भी किया है।
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समसामयिकी के लिए अखबार पढ़ने की आदत बनी
शिवप्रसाद ने पढ़ाई के दौरान ही एक बार बीडीएस और दूसरी बार एमटेक करने के लिए आईआईटी में एंट्रेस टेस्ट पास किया। अभिभावकों की इच्छा थी कि बेटा डॉक्टर बने ताकि गांव के पास किसी शहर में रह कर डॉक्टरी करने के साथ ही अपनी पुश्तैनी खेती का ख़याल रखें। शिवप्रसाद के सामने लक्ष्य था आईएएस बनने का, तो न तो उन्होंने बीडीएस में एडमिशन लिया और न ही आईआईटी में। गांव से होने की वजह से और शहर से दूरी वजह ने कभी कोचिंग करने का मौका नहीं दिया। शुरू से ही स्वाध्याय पर ही जोर दिया और तैयारी शुरू कर दी। परीक्षा की तैयारी के वक्त फोन से दूरी बना ली और समसामयिकी के लिए अखबार की आदत बरकरार रखी। परीक्षा की तैयारी के लिए जरुरी है धैर्य और ध्यान, पूरी मेहनत होर लगन के साथ तैयारी शरू की।
पहले ही प्रयास में पाई सफलता shiv prasad madan nakate Succes Story
रोजाना 10 घंटे परीक्षा की तैयारी और रूटीन की समसामयिकी के साथ ही लक्ष्य की चलता रहा। 2010 में राज्य वन सेवा, महाराष्ट्र प्रशासनिक सेवा और सेंट्रल पुलिस फोर्स में असिस्टेंट कमांडेंट पद पर चयन हुआ। लक्ष्य सिर्फ आईएएस बनने का था, जिसके आगे बड़ी से बड़ी नौकरियां भी रास नहीं आ रही थी। इस वजह तीनों में से कोई नौकरी ज्वाइन नहीं की। महाराष्ट्र सरकार द्वारा बनाए 50 अभ्यर्थियों के बैच के साथ रहकर सेल्फ स्टडी के साथ सिविल सर्विसेज की तैयारी की। 2010 में परीक्षा दी और पहले प्रयास में सफलता हासिल की। 2011 में सिविल सर्विस ज्वाइन की। शिवप्रसाद मदन नकाते वर्तमान में राजस्थान के श्रीगंगानगर में कलेक्टर और इससे पहले बाड़मेर जिले के जिला कलेक्टर थे।

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