सीबीआई के सूत्रों ने खुलासा किया कि गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) परिवारों के लिए छात्रवृत्ति फंड में घोटाले के तार हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और पंजाब तक फैले हुए हैं। हालांकि सीबीआई की शिमला शाखा द्वारा क्षेत्र में जांच की संभावना सीमित है। सूत्रों ने कहा कि घोटाला बड़े पैमाने पर हुआ है और इसी तरह की शिकायत उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश और देश के अन्य भागों से मिली है।
सीबीआई के उच्च पदस्थ सूत्र ने कहा, गरीब और एससी/एसटी छात्रों के हित में, अगर अन्य राज्य इसकी हमसे जांच कराने की अनुशंसा करेंगे तो एजेंसी ऐसे कई मामलों की जांच कर सकता है। एजेंसी ने खुलासा किया कि लवली प्रोफेशनल विश्वविद्यालय और कर्नाटक विश्वविद्यालय ने हिमाचल प्रदेश जैसे अन्य राज्यों में अपने केंद्र स्थापित किए हैं, जहां एससी/एसटी और बीपीएल छात्रों के दस्तावेज ले लिए जाते हैं लेकिन दाखिला नहीं दिया जाता है। बाद में शिक्षा विभाग और बैंक के अधिकारियों की मिलीभगत से, सरकार द्वारा प्रमाणित वास्तविक दस्तवाज और पतों के आधार पर फर्जी बैंक खाते खुलवाए जाते हैं।
उदाहरण के लिए, हिमाचल के कांगड़ा के देहड़ी गांव के करीब 250 छात्रों ने इन केंद्रों पर दाखिले के लिए आवेदन किया। इन संस्थानों ने छात्रों से दस्तावेज ले लिए लेकिन उन्हें दाखिला नहीं दिया। उसी प्रकार, छात्रों द्वारा दाखिल किए गए दस्तावेज के आधार पर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और इलाहबाद बैंक में बड़ी संख्या में फर्जी खाते खोले गए हैं और बैंक अधिकारी खाताधारकों के खाते का सत्यापन न कर इन घोटालेबाजों को छात्रवृत्ति का पैसा गटक जाने का मौका देते हैं।
गत माह, सीबीआई ने प्री व पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति से संबंधित 250 करोड़ रुपए के घोटाले के संबंध में उत्तरी भारत में कई ठिकानों पर छापे मारे थे। सीबीआई अधिकारियों ने पंजाब, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़ और हरियाणा के 22 शैक्षणिक संस्थानों पर छापे मारे थे। सीबीआई के अलावा, उत्तराखंड और उत्तरप्रदेश पुलिस भी छात्रवृत्ति घोटाले की जांच कर रही है, जहां शिक्षा विभाग और निजी संस्थान के अधिकारी के हाथ भी इन घोटाले से रंगे नजर आए। उत्तर प्रदेश में अल्पसंख्यक विभाग से संबंधित घोटाले में गरीब मुस्लिम छात्रों की छात्रवृत्ति भ्रष्ट अधिकारी धोखाधड़ी कर डकार गए।