उत्तर – इसका उत्तर पानी की सतह के तनाव(पृष्ठ तनाव या सरफेस टेंशन) में निहित है। आप जानते ही हैं कि पानी की सतह एक रबड़ की तनी हुई झिल्ली जैसा बर्ताव करती है। इसी वजह से कई जीव बिना डूबे तालाब की सतह पर चल-फिर सकते हैं। साबुन से पानी की सतह का तनाव कम हो जाता है। इसलिए जब आप पानी की सतह पर थोड़ा सा डिटर्जेंट साबुन डाल देता है, तब उस स्थान पर सतह का तनाव कुछ कम हो जाता है। ऐसा करना एक तनी हुई झिल्ली में छेद करने के समान है। इससे झिल्ली सिकुड़ जाती है और अपने साथ मिर्च को भी ले जाती है।
उत्तर – जलती हुई सिगरेट से निकलता धुआं पहले धीरे उठता है और परतों के रूप में बहता है लेकिन आस-पास की ठंडी हवा में उछाल के कारण धुएं का बहाव तेज हो जाता है। इसलिए कुछ सेंटीमीटर ऊपर उठने के बाद धुएं में बिखराव आ जाता है और उनमें भंवर पड़ जाते हैं।
उत्तर – ऐसे झंडे की कल्पना कीजिए जो तेज हवा में सपाट और पूरी तरह से फैला हुआ हो। मान लीजिए कि अब झंडे के छोटे से हिस्से के हिलने से उसमें एक छोटी सी लहर पैदा हो जाए। अब झंडे से गुजरने वाली हवा की धार को इस लहर को पार करने के लिए अपनी गति तेज करनी पड़ेगी। अधिक तेजी से बहने वाली हवा में कम दाब होगा। इससे लहर के पास झंडे के दोनों ओर हवा के दबाव में अंतर हो जाता है। झंडे में ऐसा जगह-जगह होता है। दाब में इसी अंतर के कारण बहती हवा में झंडा फडफ़ड़ाने लगता है।
उत्तर – पानी की धारा में फंसे हुए हवा के बुलबुलों के स्पंदन से ही कलकल की आवाज पैदा होती है। स्पंदन करते हुए हवा के बुलबुले दोलन करती चींटियों जैसा व्यवहार करते हैं और ऐसी ध्वनि तरंगें पैदा करते हैं, जिन्हें हम सुन सकते हैं और कलकल का यही संगीत हमें आनंदित करता है। आप पानी की इस कलकल को अपने घर में भी पैदा कर सकते हैं। इसके लिए पानी से थोड़ा भरे दो गिलास लें। जब एक गिलास से पानी दूसरे गिलास में डालें और कलकल की आवाज सुनें। आप देखेंगे कि पानी में हवा के बुलबुले बन रहे हैं, जिनके स्पंदन से ही कलकल की आवाज पैदा हो रही है।