प्रश्न (1) – रात में पेड़ के नीचे क्यों नहीं सोना चाहिए?
पेड़ों में श्वसन पत्तियों में मौजूद छिद्रों से होता है। इन छिद्रों को स्टोमेटा कहा जाता है। इसके अलावा पेड़ों के तने पर भी कुछ छिद्र होते हैं जिनसे श्वसन क्रिया होती है। पेड़ों की जड़ें सतह से सांस लेती हैं यानी पूरे पेड़ में श्वसन क्रिया लगातार चलती रहती है जिसमें पेड़-पौधे ऑक्सीजन का उपयोग करके कार्बन डाई ऑक्साइड बनाते हैं। दिन के समय पेड़-पौधे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा अपने लिए खाना बनाते हैं। पेड़ों में श्वसन क्रिया लगातार चलती रहती है लेकिन सुबह के समय सांस लेने से जो कार्बन डाई ऑक्साइड बनती है वो पत्तियों के अंदर ही जमा हो जाती है जिसका इस्तेमाल प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में किया जाता है। इस क्रिया में सारी कार्बन डाई ऑक्साइड खत्म हो जाती है और ऑक्सीजन ही बाहर निकलती है। रात में ऐसा नहीं होता है। रात में श्वसन क्रिया तो पेड़-पौधों में चलती रहती है लेकिन प्रकाश संश्लेषण की क्रिया नहीं होती है। ऐसे में रात के समय ऑक्सीजन का निर्माण नहीं होता है और पेड़ कार्बन डाई ऑक्साइड बाहर छोड़ते हैं। इसलिए रात के समय पेड़ों के नीचे नहीं सोना चाहिए।
प्रश्न (2) – पानी का रंग कैसा है?
पानी जब कम मात्रा में होता है तो बेरंग दिखाई देता है और शुद्ध पानी हल्का नीला होता है लेकिन जब पानी का स्तर बहुत बढ़ जाता है तो ये गहरा नीला दिखने लगता है। पानी नीला दिखने का कारण इसमें मौजूद चयनात्मक अवशोषण का गुण है और सफेद प्रकाश के बिखरने से भी पानी का रंग हमारी आंखों को नीला दिखाई देता है लेकिन जब पानी अशुद्ध होता है तो उसके रंग बदल जाते हैं।
प्रश्न (3) – मच्छर के काटने पर खुजली क्यों होती है?
मादा मच्छर जब खून पीने के लिए अपना डंक हमारे शरीर में चुभोती है तो त्वचा की ऊपरी हिस्से पर छेद हो जाता है। हमारे शरीर की यह खासियत होती है कि कहीं भी छेद होने पर खून का थक्का तुरंत जम जाता है। ऐसा होने पर मच्छर के लिए खून पीना संभव नहीं होगा इसलिए मच्छर अपने डंक से ऐसा विशेष रसायन छोड़ते हैं जो खून का थक्का बनने से रोकता है। यह रसायन हमारी स्किन में पहुंचकर रिएक्शन करता है जिससे डंक मारे गए स्थान पर जलन और खुजली होती है। मच्छर के काटे जाने पर हमारा इम्यून सिस्टम भी मच्छर की लार को निष्क्रिय करने के लिए रसायन छोड़ता है। इन दोनों रसायनों के रिएक्शन से ही देर तक खुजली रहती है।
प्रश्न (4) – ट्यूबलाइट में चोक क्यों होता है?
ट्यूबलाइट मूलत: मर्करी वैपर लैम्प है। इसमें मर्करी वैपर को चार्ज करने के लिए बिजली के हाई वोल्टेज प्रवाह की जरूरत होती है। चोक और स्टार्टर प्रेरक या इंडक्टर या रिएक्टर का काम करते हैं। ट्यूबलाइट आदि को जलाने के लिए हाई वोल्ट पैदा करने एवं जलने के बाद उससे बहने वाली धारा को सीमित रखने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है।