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हाई कोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के नए एडमिशन नियम खारिज किए

locationजयपुरPublished: Jun 15, 2019 09:12:45 am

दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) में अंडरग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में नए दाखिला मानदंड को खारिज कर दिया।

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दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) में अंडरग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में नए दाखिला मानदंड को खारिज कर दिया। कोर्ट विश्वविद्यालय के अंडरग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए पात्रता के नए मानदंड को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। न्यायमूर्ति अनु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति तलवंत सिंह की खंडपीठ ने दाखिला पात्रता मानदंड में संशोधन को खारिज करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi University) को पिछले साल के पात्रता मानदंड का अनुपालन करने का निर्देश दिया।

कोर्ट ने delhi university को यह भी निर्देश दिया कि भविष्य में जब कभी विश्वविद्यालय दाखिले के लिए पात्रता मानदंड में संशोधन करे तो दाखिला से छह महीने पहले इस संबंध में नोटिस जारी करे न कि दाखिले से ऐन पहले जैसा कि इस साल किया गया।

प्रवेश मानदंड में संशोधन का निर्णय चर्चा बाद लिया गया : डीयू
इससे पहले, स्नातक पाठ्यक्रमों के लिए प्रवेश पात्रता मानदंड में संशोधन के अपने निर्णय का बचाव करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) ने शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि नए प्रवेश मानदंडों का निर्धारण हितधारकों और विशेषज्ञों के साथ विचार-विमर्श के बाद किया गया था। स्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए विश्वविद्यालय के नए पात्रता मानदंड को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान डीयू की ओर से जवाब दिया गया था।

डीयू ने न्यायाधीश अनु मल्होत्रा और तलवंत सिंह की खंडपीठ से कहा, विशेष रूप से बीए वाणिज्य और बीए अर्थशास्त्र (ऑनर्स) में स्नातक पाठ्यक्रमों में अतिरिक्त पात्रता मानदंड का निर्धारण बहुत विचार-विमर्श और संबंधित क्षेत्रों में हितधारकों और विशेषज्ञों के साथ चर्चा के बाद किया गया है। यूनिवर्सिटी ने कोर्ट को बताया कि यह शिक्षा के लिए बेहतर मानकों को तैयार करने की एक प्रक्रिया के हिस्से के रूप में निर्णय किया गया है।

डीयू ने अदालत को यह भी कहा कि विश्वविद्यालय को हमेशा शिक्षा के बेहतर मानकों को लागू करने के लिए सशक्त किया जाता है और ऐसा करने के लिए विश्वविद्यालय प्रतिबद्ध है। विश्वविद्यालय ने कहा कि दरअसल, विद्यार्थियों को दी जाने वाली शिक्षा के मानक के कारण ही डीयू को बाकी विश्वविद्यालयों की तुलना में अधिक प्राथमिकता मिलती है।

पीठ ने कहा कि डीयू को उसके शिक्षा मानकों में सुधार करने से कोई नहीं रोक रहा है। पीठ ने कहा, ‘कोई नहीं कह रहा है कि आपका निर्णय (संशोधन) सही नहीं है, लेकिन आप के निर्णय का समय शायद सही नहीं है। कोर्ट ने टिप्पणी की कि डीयू को तीन महीने पहले विद्यार्थियों को इस बात की सूचना देनी चाहिए थी।

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