एक्सपर्ट्स के अनुसार, ट्वैल्थ और टेंथ दोनों ही एग्जाम बच्चों के लिए ट्रिकी रहने वाले हैं। वहीं एग्जाम में ऐसे कई बिंदु हैं, जो इस ट्रिकी बना रहे हैं। उदाहरण के तौर पर हर साल एग्जाम एक अप्रैल को होता आया है, जिसमें पहला पेपर इंग्लिश का होता था। इस बार यह एग्जाम 2 तारीख से स्टार्ट हो रहा है। इसी तरह फिजिक्स जैसे पेपर में इस बार दो ही दिन का गैप दिया गया है, जिसमें अमूमन चार दिन का गैप मिलता था। इसी तरह चार मार्च को फिजिक्स, सात को बॉयोटेक्नॉलोजी का पेपर हैं, ऐसे में जिन स्टूडेंट्स के पास इस तरह का कॉम्बिनेशन होगा, उन्हें दिक्कत का सामना करना पड़ेगा।
टेंथ क्लास में जिन बच्चों के पास जर्मन भाषा है, उसके एक दिन के बाद सात मार्च को मैथ्स का पेपर है, ऐसे में दोनों पेपर का सामंजस्य स्टूडेंट्स के लिए थोड़ा ट्रिकी है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले फ्रेंच और जर्मन का रिजल्ट 15 परसेंट डाउन रहा है।
CBSE डेटशीट और JEE Exam को लेकर स्टूडेंट्स के बीच पहले से ही काफी एक्साइटमेंट देखने को मिला है। लेकिन एग्जाम में ज्यादा गैप ना होने और साथ में JEE की तैयारियां स्टूडेंट्स की प्लानिंग में मुश्किल पैदा कर रही है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि क्योंकि 3 अप्रैल को आखिरी मल्टीमीडिया का पेपर है, ऐसे में बच्चों के दिसंबर में डेटशीट का आना फायदेमंद रहेगा।
एक्सपर्ट संजय पाराशर का कहना है कि दिसंबर में डेटशीट देने के पीछे बोर्ड की मंशा बच्चों को पहले ही प्रिपरेशन के प्रति आगाह करना है, लेकिन गैप न होने की वजह से कॉम्पीटेटिव एग्जाम में बच्चों को मुश्किल हो सकती है। एक्सपर्ट आशीष अरोड़ा का कहना है कि यदि बच्चे इस दौरान NCERT की अनसॉल्वड एक्सरसाइजेज को फॉलो करेंगे, तो उन्हें बोर्ड एग्जाम और JEE दोनों में इसका फायदा मिल सकता है।