कोविंद ने कहा कि यह उल्लेखनीय है कि 146 देशों से आए 46,144 विदेशी छात्र-छात्राएं देश के विभिन्न कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। इसमें सिम्बायोसिस बड़ी भूमिका निभा रहा है। राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें इस बात की खुशी है कि सिम्बायोसिस में 1000 से ज्यादा विदेशी छात्र-छात्राएं पढ़ रहे हैं। विश्वविद्यालय से स्नातक बनकर निकलने वाले छात्रों में से 329 भारत के अलावा 33 अन्य देशों से हैं।
उन्होंने कहा कि यह सिम्बायोसिस को विविध संस्कृति और विभिन्न महानगरों की जीवन शैली से जुड़ा माहौल प्रदान करता है जो विभिन्न देशों के बीच सौहार्द को बढ़ावा दे रहा है। कोविंद ने कहा कि भारत में 903 विश्वविद्यालय और 39050 कॉलेजों का बड़ा नेटवर्क है, लेकिन इसके बावजूद शिक्षा की विश्वस्तरीय गुणवत्ता हासिल करने के लिए इसमें सुधार करने की आवश्यकता है। इसलिए, सरकार ने देश के 20 उच्च शिक्षा संस्थानों को प्रतिष्ठित संस्थाओं के रूप में विकसित करने का फैसला किया है। इसके तहत इन संस्थाओं को नियुिक्तयां करने और पाठ्यक्रम तय करने का अधिकार दिया जाएगा ताकि वे विश्वस्तरीय शिक्षा मानकों को हासिल कर सकें।
सोनम वांगचुक को मानक डिग्री
कोविंद ने इस अवसर पर सिम्बायोसिस के प्रशासनिक अधिकारियों, प्रोफेसरों, छात्रों और पूर्व छात्रों से सिम्बायोसिस में कम से कम एक ऐसी प्रतिष्ठित संस्था बनाने का आह्वान किया। उन्होंने इस अवसर पर लद्दाख के गौरव शिक्षा सुधारक सोनम वांगचुक जो कि प्रसिद्ध फिल्म ‘3 इडियट्स’ बनाने के प्रेरणा स्रोत भी हैं, उन्हें डॉक्टरेट ऑफ लिटरेचर की मानक डिग्री प्रदान की।
समाज के लिए अच्छी बात
उन्होंने कहा कि भारत का राष्ट्रपति होने के नाते मैं पूरे देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों और शिक्षण संस्थानों का दौरा कर वहां के विद्यार्थियों से मुलाकात और बात करता हूं। अभी तक जो देखने में मिला है कि शिक्षा में लड़कियां, लड़कों से बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं। इसी विश्वविद्यालय में नौ गोल्ड मेडल में से छह गोल्ड मेडल लड़कियों को मिला है। समाज के लिए यह एक खुशी का निशान है। मैं पूरे सिंबॉयसिस परिवार को धन्यवाद देता हूं।
कोविंद ने छात्रों को इंगित करते हुए कहा कि आपकी शिक्षा और अधिक जिम्मेदारी देती है और यह जिम्मेदारी है निचले पायदान पर खड़े लोगों की मदद करना। आप यह काम कैसे करेंगे यह पूरी तरह आप पर निर्भर है। लेकिन, ध्यान रहे कि आपकी नागरिकों के प्रति सहानुभूति आपके डिग्री और छात्रवृत्ति की परीक्षा की तरह है। उन्होंने आगे कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में पुणे का योगदान महत्वपूर्ण है। उन्होंने महात्मा ज्योतिबा फुले और उनकी पत्नी सावित्रीबाई द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में योगदान को याद किया। इसके अलावा न्यायाधीश एम जी रानाडे, गोपाल कृष्ण गोखले, स्वतंत्रता सेनानी वासुदेव बलवंत फडके और बाल गंगाधर तिलक को भी याद किया जिन्होंने कमजोर तबके के लोगों के लिए शिक्षा के क्षेत्र में महान योगदान दिया।