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रिकाॅर्ड ही नहीं सपने भी तोड़ रहा रुपया, विदेशों में पढ़ार्इ के लिए बढ़ गया है खर्च

locationनई दिल्लीPublished: Oct 07, 2018 12:31:58 pm

Submitted by:

Ashutosh Verma

एक अनुमान के मुताबिक यदि डाॅलर के मुकाबले रुपया 78 से 79 के स्तर पर चला जाता है तो इससे विदेशों में पढ़ार्इ 20 फीसदी तक महंगा हो सकता है।

Indian Rupee

रिकाॅर्ड ही नहीं सपने भी तोड़ रहा रुपया, विदेशों में पढ़ार्इ के लिए बढ़ गया है खर्च

नर्इ दिल्ली। बीते डेढ़ महीनें से डाॅलर के मुकाबले रुपए में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। चालू वित्त वर्ष में डाॅलर के मुकाबले रुपए में करीब 12 फीसदी की गिरावट दर्ज की गर्इ है। भारतीय रुपया ही नहीं बल्कि कर्इ देशों की करेंसी में डाॅलर के मुकाबले गिरावट देखने को मिल रही है। मौजूदा समय में तमाम एशियार्इ करेंसी के मुकाबले रुपया सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला करेंसी बन गया है। शुक्रवार को कारोबार के दौरान रुपया 74.24 के नए रिकाॅर्ड स्तर पर फिसल गया था हालांकि अंतिम कारोबारी सत्र के बाद रुपए में हल्की रिकवरी देखने को मिली। इसके बाद डाॅलर के मुकाबले रुपया 73.77 के स्तर पर बंद हुआ।


टूट सकता है विदेशों में पढ़ने का सपना

डाॅलर के मुकाबले रुपए में इस बड़ी कमजोरी के बाद अब विदेशाें में पढ़ने का सपना देखने वाले भारतीय युवाआें का सपना टूटते हुए दिखार्इ दे रहा है। रुपए की इस खराब हालत के बाद उन परिवारों के लिए चिंता बढ़ गर्इ है जिनके बच्चे फिलहाल विदेशों में पढ़ार्इ कर रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक यदि डाॅलर के मुकाबले रुपया 78 से 79 के स्तर पर चला जाता है तो इससे विदेशों में पढ़ार्इ 20 फीसदी तक महंगा हो सकता है। फिलहाल अमरीका में एमबीए की पढ़ार्इ 5.5 लाख रुपए महंगाी आैर स्नातक के कोर्स भी 2.5 से 3 लाख रुपए तक महंगी हो चुकी है।


दूसरे देशों के तरफ रूख कर सकते हैं युवा

पिछले 12 माह में पाउंड 85.5 रुपए से बढ़कर 96.7 रुपए वहीं डाॅलर 65.2 से 74.2 हो गया है। यूरो की बात करें तो ये भी 76.3 से 84.8 हो चुका है। एक जानकार के मुताबिक अगर पश्चिमि देशों की करेंसी के मुकाबले रुपए में एेसे ही कमजोरी देखने को मिलती रही तो एेसे में भारतीय युवा विदेशों में पढ़ार्इ के लिए आॅस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, सिंगापुर आैर हांगकांग के तरफ रूख कर सकते हैं। कुछ कंस्ल्टेंट का मानना है कि रुपए की इस गिरावट से मौजूदा साल में विदेशों में पढ़ने वाले युवाआें में कमी नहीं आएगी क्योंकि अधिकतर मां-बाप आैर युवा पहले ही अमरीका आैर यूरोपिय देशों में आगे पढ़ार्इ के लिए प्रतिबद्धता दे चुके हैं।


रुपए में गिरावट से निर्यातकों को हो रहा फायदा

गौरतलब है कि लगातार तीन दिनों तक चले मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में समीति ने नीतिगत ब्याज दरों में कोर्इ बदला नहीं करने का फैसला लिया था जिसके बाद ब्याज दर अभी 6.50 फीसदी के स्तर पर बरकरार है। रुपए की इस गिरावट से एक तरफ निर्यात करने वाले सेक्टर में रौनक देखने को मिल रही है तो वहीं आयात से भारत को बड़े नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल निर्यात करने पर डाॅलर के मुकाबले अधिक रुपए मिल रहा वहीं आयात के लिए अधिक खर्च करना पड़ रहा है। अयात बिल व निर्यात बिल में अंतर बढ़ने से रोजकोषिय घाटा भी बढ़ता जा रहा है।

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