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11 वर्ष से चुनाव के इंतजार में सहकारिता विभाग, लगातार कमजोर हो रही संस्थाएं

11 वर्ष से चुनाव के इंतजार में सहकारिता विभाग, लगातार कमजोर हो रही संस्थाएं

सागरApr 27, 2024 / 06:54 pm

हामिद खान

बिन चुनाव कैसे चले सहकार

11 वर्ष से चुनाव के इंतजार में सहकारिता विभाग, लगातार कमजोर हो रही संस्थाएं

टीकमगढ़. किसानों को आर्थिक रूप से मदद करने वाली सहकारी संस्थाओं की पिछले 11 सालों से कोई सुध लेने वाला नहीं है। 11 सालों से चुनाव न होने के कारण जिले की 87 सहकारी समितियों के साथ ही बैंक प्रशासक के भरोसे चल रहे है। ऐसे में समितियों के साथ ही बैंक की हालत भी लगातार कमजोर होती जा रही है। इसका सीधा असर किसानों की मेहनत की कमाई से चलने वाली इन संस्थाओं पर पड़ रहा है।
जिले में सीमांत किसानों को खेती के लिए ऋण, खाद, बीज उपलब्ध कराने वाला सहकारिता विभाग पिछले 11 सालों नेतृत्व विहीन बना हुआ है। विदित हो कि जिले में सहकारिता विभाग की 87 समितियों के साथ ही सहकारी बैंक की 18 ब्रांच से लगभग 60 हजार किसान जुड़े है। इस वर्ष बैंक ने समितियों के माध्यम से जिले के किसानों को 80 करोड़ रुपए के लगभग का कृषि ऋण वितरण किया है। आज सहकारिता के बिना किसान खेती की बात भी नहीं सोच सकते है। इसके बाद भी प्रशासन द्वारा इन समितियों एवं बैंक के चुनाव को लेकर किसी प्रकार से विचार नहीं किया जा रहा है। विदित हो कि जिले में शासन के निर्देशन पर अंतिम बार वर्ष 2007 में चुनाव कराए गए थे। इसमें निर्वाचित पदाधिकारियों का कार्यकाल 2012 तक चला और इसके बाद चुनाव नहीं हुए। आलम यह है कि अब हर सहकारी समिति और बैंक में प्रशासक बैठे हुए है।
नहीं हो पा रहे काम, हालत खराब

इन सहकारी समितियों के प्रशासक पद पर सहकारी विभाग द्वारा सहकारी निरीक्षकों को तैनात किया गया है। जिले में वर्तमान में महज 7 सहकारिता निरीक्षक है। ऐसे में एक-एक निरीक्षक के बाद 10 या इससे अधिक सहकारी समितियों का प्रभार है। ऐसे में यह लोग भी इन समितियों पर ध्यान नहीं दे पा रहे है। इन निरीक्षकों की भी माने तो इतना अधिक काम होने से सभी जगह का काम प्रभावित हो रहा है। उनका कहना था कि यह संस्थाएं अपने आप में पूरा विभाग है। महज एकाध घंटे देकर इनसे काम नहीं कराया जा सकता है। यह सहकारिता का मूल है, ऐसे में इन पर ध्यान दिया जाना और इनके चुनाव कराना बहुत जरूरी है।
कांग्रेस के समय में उपाध्यक्ष को दिया था प्रभार

लंबे समय से चुनाव न होने के कारण सहकारिता की हालत खराब होने पर वर्ष 2019 में कांग्रेस की सरकार आने पर इन समितियों पर ध्यान दिया गया था। उस समय सहकारिता विभाग ने समितियों के उपाध्यक्ष को प्रशासक का प्रभार देने एवं चुनाव की प्रक्रिया शुरू कराने की तैयारी की थी, लेकिन सरकार गिर गई और प्रक्रिया एक बार फिर से ठंडे बस्ते में चली गई। सहकारिता से जुड़े लोगों की माने तो पिछले 11 सालों से सरकार लगातार इनकी अनदेखी कर रही है, यदि ऐसा ही रहा तो सहकारिता खत्म हो जाएगी।
कहते है अधिकारी

लोकसभा चुनाव के बाद सहकारिता के चुनाव कराने की योजना बताई जा रही है। यह चुनाव सहकारिता चुनाव प्राधिकरण द्वारा कराए जाते है। वहां से निर्देश मिलने पर प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
  • एसपी कौशिक, उपायुक्त, सहकारिता विभाग।
    सहकारिता में समय से चुनाव होने एवं निर्वाचित प्रतिनिधि आने पर जनता की सही सेवा होता है। यह किसानों का बड़ा संगठन है।
  • विवेक चतुर्वेदी, पूर्व अध्यक्ष, जिला सहकारी बैंक।

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