विदेशी निवेशकों की निकासी से भी बढ़ रही गिरावट विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट के अन्य कारणों में विदेशी निवेशकों का भारतीय इक्विटी और बांड बाजार से मोहभंग और देश के चालू खाते के घाटे का बढ़ना भी है। इसके अलावा भारत की ओर से विदेशों से लिए जा रहे कर्ज और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों की वजह से भी विदेशी मुद्रा भंडार कम होता है। हालांकि, कोटक सिक्योरिटीज लिमिटेड के मुताबिक केंद्रीय बैंक की ओर से बाजार में हस्तक्षेप से विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट में तेजी आई है। विदेशी निवेशकों ने इस साल अब तक भारतीय बांड और स्टॉक्स से 95.5 हजार करोड़ रुपए की निकासी की है।
2002 के बाद से सबसे लंबी गिरावट का दौर कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और चालू खाते के बढ़ते घाटे व महंगाई से रुपए में लगातार छह महीने गिरावट का दौर रहा। यह वर्ष 2002 के बाद से सबसे लंबा गिरावट का दौर रहा है। 11 अक्टूबर को रुपए ने ऐतिहासिक तौर पर निचले स्तर को छू लिया था। 11 अक्टूबर को एक डॉलर की तुलना में रुपया 74.48 के स्तर पर पहुंच गया था। इस साल रुपए में अब तक 13 फीसदी की गिरावट आ चुकी है।