Published: Jul 01, 2018 12:32:55 pm
Saurabh Sharma
भारत में जीएसटी को फ्रॉड प्रूफ बताया जा रहा है, लेकिन कई देश ऐसे हैं जहां गड़बड़ियों की शिकायतें मिली हैं।
इन देशों में जीएसटी साबित हुआ है ‘गब्बर सिंह टैक्स’, भारत को लेना होगा सबक
नर्इ दिल्ली। भारत में गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) के एक साल होने का जश्न मनाया जा रहा है। जीएसटी दिवस के रूप में मनाए जा रहे इस दिन को देशभर में कर्इ तरह के कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि जीएसटी टैक्स सिस्टम दुनिया के करीब 50 देशों में पहले से लागू है। भारत में इसे फ्रॉड प्रूफ बताया जा रहा है, लेकिन कई देश ऐसे हैं जहां गड़बड़ियों की शिकायतें मिली हैं। कुछ देशों में तो हजारों करोड़ रुपए तक के स्कैम हो चुके हैं। ताज्जुब की बाम तो ये है कि एक देश में जीएसटी में हुए स्कैम में पांच भारतीयों को ही जेल भेजा गया था। आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर वो कौन से देश थे जहां जीएसटी पूरी तरह से फेल हो गर्इ आै बड़े स्कैम हुए…
आॅस्ट्रेलिया में हुआ था स्कैम
ऑस्ट्रेलिया में मेलबोर्न, ब्रिसबेन और सिडनी में गोल्ड का बिजनेस बड़े स्तर पर होता है। यहां पर थोक में शुद्ध गोल्ड की खरीद खूब होती है। ऑस्ट्रेलिया में गोल्ड बार की खरीद पर जीएसटी नहीं लगता है। यहां पर बाद में इस गोल्ड बार से बने जेवर पर जीएसटी लगाया जाता है। कानून में इसी चूक का इस्तेमाल कर आॅस्ट्रेलिया में सर्राफा करोबारियों ने एक सिंडीकेट की तरह काम करके करीब 3028 करोड़ रुपए से ज्यादा की जीएसटी की चोरी कर ली। बाद में मामला खुला और इसकी जांच अभी तक चल रही है। शुरुआत में करीब 500 करोड़ रुपए की जीएसटी चोरी की आशंका थी, लेकिन जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी यह मामला बढ़ता गया। अब यह 3028 करोड़ रुपए से ज्यादा का जीएसटी चोरी का मामला बन चुका है। 2013 में शुरू हुई यह जांच अभी चल ही रही है। कुछ ही आरोपी पकड़े जा सके हैं।
कुछ इस तरह से हुआ था आॅस्ट्रेलिया में घोटाला
ऑस्ट्रेलिया में 2.52 लाख रुपए तक के गोल्ड की खरीद पर कोई पहचान नहीं बतानी होती है। इसके चलते आस्ट्रेलिया में कुछ लोग देश के अलग अलग शहरों से 2.52 लाख रुपए के ‘गोल्ड बार’ खरीदते थे। फिर सर्राफा कारोबारी इन गोल्ड बार से जेवर बना लिया करते थे। इसके बाद यह जेवर ग्राहकों को बेचा जाता था, ग्राहक से 10 फीसदी की दर से जीएसटी लिया गया, क्योंकि सर्राफा करोबारियों ने गोल्ड कागज पर ख्ारीद नहीं होती है, इसलिए वह इस बिक्री को भी नहीं दिखाते थे। इसके चलते उन्हें कोई जीएसटी जमा नहीं करना पड़ता था। इस पूरी प्रक्रिया में एक किलो गोल्ड की खरीद बिक्री पर करीब 75 हजार रुपए से 1.26 लाख रुपए तक की जीएसटी की चोरी होती थी।
सिंगापुर में भी हुआ था स्कैम भारतीय गए थे जेल
सिंगापुर में भी जीएसटी लागू हुए कई साल बीत चुके हैं, लेकिन अक्सर यहां पर भी जीएसटी में चोरी की घटनाएं सामने आ जाती हैं। पिछले साल फरवरी में गोल्ड की ज्वेलरी में जीएसटी चोरी का घोटाला सामने आया था। यह घोटाला 80 लाख रुपए था। इस घोटाले में पांच भारतीय नागरिकों को गिरफ्तार किया गया। इन पांचों भारतीय का नाम करुनानिथि श्रीनिवासन, करुनानिधि राजेश, वैथियालिंगम करुणानिधि, कोथाडरामन गन्नाम और रामालियन हैं। इससे पहले 2014 में भी एेसा ही घोटाला सामने आया था जिसमें चार भारतीयों को जेल की सजा हुई थी। इसमें 2.66 करोड़ रुपए का घोटाला किया गया था।
इस तरह हो हा था घोटाला
सिंगापुर में अगर कोई विदेशी पर्यटक गोल्ड ज्वेलरी खरीदता है तो उसे अपने वतन लौटते वक्त इस गोल्ड ज्वेलरी पर चुकाए गए जीएसटी की वापसी का नियम है। इस नियम को ई-टीआरएस बोला जाता है। इसके तहत देश छोड़ते वक्त विदेश नागरिक को गोल्ड ज्वेलरी खरीदने की रसीद और उस जेवर का टैग दिखाना होता है। इसके बाद काउंटर पर ही उसका जीएसटी वापस कर दिया जाता है। इस नियम के तहत सिंगापुर के कुछ चोर गोल्ड कारोबारी विदेश नागरिकों से साठगांठ करके उनके पासपोर्ट नम्बर ले लेते थे। इस पासपोर्ट नम्बर पर जेवर की फर्जी खरीद की रसीद तैयार की जाती थी और टैग जारी कर दिया जाता था। फिर पासपोर्ट वाला व्यक्ति जब विदेश लौटने लगता था तो वह यह जीएसटी का पैसा वापस क्लेम करता था। उसे एयरपोर्ट पर ही काउंटर से यह क्लेम मिल जाता था। बाद में यह पैसा विदेश नागरिक और सिंगापुर के अवैध कारोबारी आपस में बांट लेते थे। क्योंकि असल में उस जेवर की बिक्री होती ही नहीं थी, जिसका टैक्स वापस लिया जाता था। इस कारण इसमें वापस मिला टैक्स पूरा फायदा ही होता था। बाद में उस जेवर को अलग से बेच दिया जाता था, और उस पर मुनाफा कमाया जाता था।