गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों से अमरीकी डाॅलर में लगातार तेजी देखने को मिल रही है। वहीं दूसरी आेर भारतीय करेंसी रुपया में गिरावट का दौर देखने काे मिल रहा है। आज ट्रेडिंग के दौरान डाॅलर इंडेक्स ने 96.52 के पिछले 14 माह के उच्चतम स्तर को छुआ। बीते हफ्ते के अंतिम कारोबारी दिन यानी शुक्रवार के बाद अब तक रुपए में 1.09 रुपए की गिरावट देखने काे मिल चुकी है।
अभी आैर कमजाेर होगा रुपया
वहीं मौजूदा साल में डाॅलर के मुकाबले रुपए के प्रदर्शन की बात करें तो सभी एशियार्इ करेंसी के अपेक्षा रुपए में सबसे अधिक कमजाेरी देखने को मिली है। अभी तक रुपए में 10 फीसदी तक की गिरावट देखी गर्इ है। इस विषय से जुड़े जानकारों का कहना है कि डाॅलर के मुकाबले रुपए में आैर अधिक कमजोरी देखने काे मिल सकती है। हालांकि ये छोटे अवधिक के लिए ही होगा आैर फिर उसके बाद रिकवरी का दौर देखने काे मिला।
आपकी जेब पर पड़ेगा ये असर
रुपए में कमजाेरी के बाद सबसे बड़ा ये असर देखने को मिलेगा कि डाॅलर खरीदने के लिए अब पहले से अधिक रुपए चुकाने होंगे। इस प्रकार विदेश से आयात किए जाने वाले सामानों के लिए अधिक रुपए खर्च करने होंगे। बता दें कि भारत में बड़ी मात्रा में विदेशाें से सामान आयात किया जाता है। इसमें कच्चे तेल का अायात सबसे अधिक होता है। वहीं आयात होने वाली अन्य चीजों की बात करें तो इलेक्ट्राॅनिक आइटम्स, आैर सोना भी बड़ी मात्रा में भारत में आयात किया जाता है। इसके साथ ही विदशों में पढ़ार्इ करना आैर घूमना भी अब पहले से अधिक महंगा हो जाएगा।
इनको हाेगा फायदा
लेकिन रुपए के इस संकट से देश से निर्यातकों को बड़ा फायदा होने वाला है। डाॅलर में मजबूती से निर्यात होने वाले सामानों पर डाॅलर के बदले अधिक रुपए मिलेंगे। इस प्रकार निर्यात होने वाले सामानों पर निर्यातकों का ज्यादा फायदा होगा। भारत से बड़े मात्रा में आर्इटी सेवाआें के साथ-साथ इंजिनियरिंग गुड्स, जेम्स एंड ज्वेलरी, पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स आैर कृषि अाधारित सामानों का निर्यात होता है। इस तरह रुपए में आर्इ कमजोरी से भारत के कर्इ सेक्टर्स को फायदा मिल सकता है।