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जीएसटी पर आसान नहीं सरकार की राह

Published: Apr 27, 2015 09:09:00 am

वस्तु एवं सेवा कर का विरोध कर
रहा है विपक्ष, वर्ष 2006 में पी चिदंबरम ने जीएसटी का दिया था प्रस्ताव

GST

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नई दिल्ली। पूर्व वित्त मंत्री पी. चिंदबरम ने वर्ष 2006 के अपने बजट भाषण में सबसे महत्वपूर्ण अप्रत्यक्ष कर सुधारों में से एक वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का प्रस्ताव दिया था। शुक्रवार को संसद में जीसटी बिल मोदी सरकार ने विपक्ष के विरोध कि बीच पेश किया। विपक्ष की मांग थी कि इस संविधान संशोधन विधेयक को स्थायी समिति के पास भेजा जाए, जिसे सरकार ने खारिज कर दिया। सरकार का म ानना है कि इस बिल से सभी के लिए समान लाभ की स्थिति उत्पन्न होगी। सरकार का आकलन है कि व्यापार करने में सहुलियत होने के साथ जीएसटी से कारोबार बढ़ाने में मदद मिलेगी।

सरकार का मानना है कि इससे लोगों को कई तरह के अप्रत्यक्ष करों से मुक्ति मिलेगी। सरकार जीडीपी में भी 2 फीसदी का इजाफा होने के साथ ही मंहगाई भी कम होने का दावा कर रही है। अभी इस बिल पर लोकसभा में चर्चा होना बाकी है। हालांकि भारतीय कंपनी जगत अपने कारोबार, उत्पाद, एवं सेवाओं के मूल्य निर्धारण पर जीएसटी के प्रभाव को लेकर आशंकित है।

कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि दीर्घावधि में यह कारोबारी माहौल और अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा साबित होगा। इस बात की संभावना व्यक्त की जा रही है कि जीएसटी लागू होने के 12 से 16 माह तक अर्थव्यवस्था पर मुद्रास्फीतिक दबाव बढेगा।राहत पैकेज देने का प्रावधान जीएसटी के तहत 5 साल तक केंद्र की तरफ से उन राज्यों को राहत पैकेज देने का प्रावधान है, जिन्हें टैक्स रेवेन्यू में नुकसान हो सकता है।

राज्य चाहते हैं ज्यादा जीएसटी

जीएसटी को लेकर केन्द्र और राज्य सरकारों के बीच विवाद है। किसे कितना मिलेगा इस पर आम सहमति नहीं बन सकी है। कुछ राज्यों को डर है कि जीएसटी लागू होने के बाद उनके राजस्व में कमी आ जाएगी। राज्य 27 प्रतिशत से ज्यादा जीएसटी चाहते हैं। लेकिन केंद्र ज्यादा को तैयार नहीं है। सरकार को डर है कि इससे ज्यादा दर तय की गई तो उत्पाद महंगे हो जाएंगे। हर प्रोडक्ट पर लगने वाले कर में बराबर हिस्सा क ेंद्र और राज्यों को मिलेगा। अभी जीएसटी तय नहीं हुआ है। जीएसटी काउंसिल बाद में तय करेगी। केन्द्रीय वित्त मंत्री इस काउंसिल के अध्यक्ष हैं और राज्यों के वित्त मंत्री इसके सदस्य हैं।

प्रचलित कर होंगे खत्म

मोदी सरकार जीएसटी को 1947 के बाद का सबसे बड़ा कर सुधार बता रही है। सरकार अलग-अलग कर खत्म कर उनकी जगह एक ही कर लागू करना चाहती है। अगर केन्द्र सरकार जीएसटी लागू करने में सफ ल होती है तो सेंट्रल सेल्स टैक्स, लग्जरी टैक्स, एंटरटेनमेंट टैक्स, ऑक्टरॉय, वैट जैसे अलग-अलग सेंट्रल और लोकल टैक्स खत्म हो जाएंगे। इससे वस्तुओं और सेवाओं का एक राज्य से दूसरे राज्य में हस्तां तरण आसानी से होगा। टैक्स चोरी पर अंकुश और इंस्पेक्टर राज खत्म होने की संभावना बढेगी।

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