रिजर्व बैंक की आय में विदेशी और घरेलू स्त्रोतों से कमाई शामिल हैं, जिसमें प्रमुख योगदान ब्याज रसीदों का हैं, जिसके साथ छूट, विनिमय, कमीशन आदि से अपेक्षाकृत छोटी मात्रा में होने वाली आय भी शामिल हैं। भारतीय रिजर्व बैंक अधिनयम में यह कहा गया हैं कि उसमें परिभाषित आकस्मिताओं और कोष निधि के लिए प्रावधान करने के बाद सुप्रीम कोर्ट को बचा हुआ लाभ केंन्द्र सरकार को हस्तांतरित करना होगा।
इस डिवीडेंड में भारी कमी के वजह से सरकार पर प्रेशर बढ़ सकता हैं और उसे 2017-18 में अपने फिस्कल डेफिसिट को 3.2 फीसदी रखने के टार्गेट को पूरा करने के लिए रिर्सोसेज तलाशने होंगे। इसका कारण विकसित देशों में निगेटिव इटरेस्ट रेट्स के कारण बीते कुछ साल के दौरान रिटर्न में खासी कमी आई हैं। सिस्टम लिक्विडिटी बढऩे से आरबीआई को रिवर्स रेपो रेट के अंतगर्त पैसा जुटाना पड़ रहा हैं जिसका असर रेवेन्यू पर पड़ रहा हैं। जानकारों के मुताबिक आरबीआई के रेवेन्यू में कमी को मुख्य वजह नई करेंसी की प्रिंटीग कॉस्ट और नोटबंदी के बाद बंद हुए नोटों को सिस्टम से निकलना रहा हैं।
पिछले साल 8 नवंबर को सरकार ने नोटबंदी को ऐलान किया था जिसमें 500 और 1000 के नोट को सिस्टम से वापस लेने का फैसला लिया गया था। सरकार ने यह कदम भ्रष्टाचार और ब्लैकमनी पर शिकंजा कसने के लिए उठाया था। आपको बता दें कि 500 रूपए के नए नोट की प्रिंटींग कॉस्ट 2.87 से 3.09 रूपए के बीच और 2000 रूपए के नोट की प्रिंटींग कॉस्ट 3.54 से 3.77 रूपए आती हैं।