दुनिया की दूसरी सबसे ताकतवर करेंसी यूरो में भी गिरावट
मंगलवार को रुपया ही नहीं बल्कि यूरो में भी दबाव देखने को मिल रहा है। मंगलवार को शुरुआती कारोबार के दौरान डॉलर के मुकाबले यूरो में 0.43 फीसदी की गिरावट दर्ज की जा रही है। अगस्त माह में जर्मन ट्रेड सरप्लस के बाद आयात ग्रोथ में कमी देखने को मिल रही है। साल 2018 की शुरुआत में डॉलर के मुकाबले यूरो की शुरुआत 0.82 के स्तर पर था जो कि अक्टूबर माह में 0.86 के स्तर पर है। हालांकि इस साल के शुरुआती 9 माह में डॉलर के मुकाबले रुपए में अधिकांशतः कमजोरी देखने को मिली है। फरवरी, मार्च व अप्रैल में यूरो में मजबूती दर्ज की गर्इ थी।
ब्रिटिश पाउंड की क्या है हालत
डॉलर के मुकाबले रुपया ब्रिटिश पाउंड में भी एेतिहासिक गिरावट दर्ज की जा रही है। हालांकि रिसर्च एजेंसी नोमूरा के मुताबिक अाने वाले समय में ब्रिटिश पाउंड में तेजी देखने को मिल सकती है। नोमूरा का कहना है कि वैल्यूएशन में कमजोरी मौजूदा वित्तीय संकट की वजह से है। हालांकि ब्रिटिश अर्थव्यवस्था पर इसका कम असर देखने को मिल रहा है और इसलिए ब्रिटिश पाउंड में रिकवरी देखने को मिल सकती है। जनवरी 2018 में प्रति डॉलर ब्रिटिश पाउंड की शुरुआत 0.72 के स्तर पर हुर्इ थी जो कि मौजूदा समय में 0.76 के स्तर पर है। डॉलर के मुकाबले ब्रिटिश पाउंड में इस साल अभी तक 5.27 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है।
32 माह के न्यूनतम स्तर पर आॅस्ट्रेलियार्इ करेंसी
अक्टूबर माह में ऑस्ट्रेलियार्इ डॉलर बीते 32 माह के सबसे न्यूनतम स्तर पर फिसल चुका है। इसी दौरान अमरीका और चीन के बीच चल रहे व्यापार युद्ध के बावजूद भी ऑस्ट्रेलिया से निर्यात होने वाले खनिज संपदा और थर्मल कोल में तेजी देखने को मिली है। एबीसी न्यूज के मुताबिक लंबी अवधिक के हिसाब स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए कोर्इ खास चिंता की बात नहीं है क्योंकि ऑस्ट्रेलियार्इ निर्यात में तेजी आर्इ है। दरअसल अमरीकी ब्याज दरों में बढ़ोतरी के बाद निवेशकों को झुकाव उभरती अर्थव्यवस्थाओं की तरफ बढ़ गया है। कर्इ आर्थिक सलाहकारों का मनना है कि ऑस्ट्रेलियार्इ डॉलर में इस गिरावट का सबसे बड़ा कारण ऑस्ट्रेलिया और अमरीका के ब्याज दरों का अंतर है। जनवरी 2018 की तुलना में डॉलर के मुकाबले ऑस्ट्रेलियार्इ डॉलर में 10.72 फीसदी की गिरावट दर्ज की गर्इ है।
क्यों है दुनियाभर में डॉलर का वर्चस्व
गौरतलब है कि वैश्विक स्तर पर अमरीका को दुनिया का सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था माना जाता है। अंतरराष्ट्रीय व्यापार में डॉलर आैर यूरो सबसे अधिक लोकप्रिय व स्वीकार्य है। दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों में जो विदेशी मुद्रा भंडार होता है उसमें 64 फीसदी अमरीकी डॉलर होते हैं। ऐसे में डॉलर खुद ही एक वैश्विक मुद्रा बन जाता है। कुल डॉलर का 65 फीसदी डॉलर अमरीका के बाहर इस्तेमाल होता है। डॉलर की स्वीकार्यता और मजबूती का अंदाजा इस बात से भी लगाया जाता है कि दुनियाभर का 85 फीसदी व्यापार डॉलर में ही होता है। दुनियाभर का 39 फीसदी कर्ज डॉलर में दिया जाता है। इंटरनेशनल स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइज़ेशन लिस्ट के मुताबिक दुनियाभर में कुल 185 करंसी हैं। दुनिया की दूसरी ताकतवर मुद्रा यूरो को माना जाता है। दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों के विदेशी मुद्रा भंडार में 19.9 फीसदी यूरो होते हैं।