आयुष्मान भारत योजना देश की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना यानी आयुष्मान भारत जन आरोग्य योजना (PM-JAY) सरकार द्वारा शुरू की गई। यह वास्तव में हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम थी। PM-JAY के तहत देश के 10 करोड़ परिवारों को सालाना 5 लाख रुपए का स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध होना था। हालांकि सरकार द्वारा किए गए ये दावे नाकाम रहे। बता दें वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 28 अक्टूबर को खुद कहा था कि पिछले डेढ़ महीने में इस योजना से केवल 3 लाख लोगों को ही फायदा मिला है जबकि इससे पहले करीब आधे लोगों को फायदा मिल चुका था। इससे ये साफ है कि आयुष्मान भारत योजना अपने लक्ष्य की ओर तेजी से नहीं बढ़ रही है। योजना के तहत कुल 1,354 पैकेज लाए गए थे, जिसमें कैंसर सर्जरी और कीमोथेरपी, रेडिएशन थेरपी, हार्ट बाइपास सर्जरी, न्यूरो सर्जरी, रीढ़ की सर्जरी, दांतों की सर्जरी, आंखों की सर्जरी और एमआरआई और सीटी स्कैन जैसे जांच शामिल हैं।
आयुष्मान भारत योजना का खस्ता हाल ये योजना निजी अस्पतालों के भरोसे शुरू की गई क्योंकि सरकारी अस्पताल जिला चिकित्सालय में विशेषज्ञ चिकित्सक और सर्जन की कमी थी। हालत ये रही कि ऑपरेशन करवाने के लिए एकमात्र सर्जन से समय लेना पड़ता था लेकिन इस योजना के तहत इलाज करवाने के लिए निजी अस्पताल जाने के अलावा मरीजों के पास और कोई दूसरा रास्ता भी नहीं था। विशेषज्ञ चिकित्सकों की भारी कमी है और संसाधन के नाम पर केवल इंफ्रास्ट्रक्चर और मशीने ही थी। हालत इतनी गंभीर है कि डिलीवरी के लिए पहुंची कोई महिला अगर हाई रिस्क के अंतर्गत है तो उसे मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया जाता है। केवल सामान्य बीमारी के तहत अस्पताल पहुंचे मरीजों का इलाज और ऑपरेशन किया जा रहा है। इस सब से ये बात तो साफ है कि मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई आयुष्मान भारत योजना पूरी तरह से फेल रही।
साल 2018 की अन्य योजनाएं आयुष्मान भारत योजना के अलावा 2018 में सरकार द्वारा कई अन्य योजनाएं शुरू की गई। बजट 2018 में सरकार द्वारा गोबर धन योजना की घोषणा की गई थी। इस योजना के तहत गोबर और खेतों के बेकार या इस्तेमाल में न आने वाले उत्पादों को कम्पोस्ट, बायो-गैस और बायो-सीएनजी में बदलने का प्लान था। इस साल फरवरी में केंद्रीय कैबिनेट ने प्रधानमंत्री रिसर्च फेलोशिप (PMRF) योजना को भी मंजूरी दी थी। इस योजना के तहत देश के बीटेक इंजीनियरों को IIT, IISER और NIT में पीएचडी के लिए फेलोशिप दी गई। इस योजना के तहत जो छात्र चुनें गए, उनको 70 हजार से 80 हजार रुपए की फेलोशिप देने का अनुमान था। योजना के खर्च का अनुमान 1650 करोड़ रुपए लगाया गया। सरकार द्वारा पोषण अभियान की भी शुरुआत की गई। यह अभियान ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ को आगे ले जाने के लिए शुरू किया गया। 8 मार्च 2018 को महिला दिवस के दिन राजस्थान के झुंझुनू से इसकी शुरुआत हुई। इसका मकसद 0-6 साल के बच्चों के पोषण की उचित व्यवस्था करना था।
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