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नहीं बदलेगा वित्त वर्ष, लेकिन पहले पेश हो सकता है बजट

लगभग 150 वर्षों से चलती आ रही इस परंपरा को सरकार बदलकर जनवरी से दिसंबर करने की सोच रही थी और उसके लिए एक समिति भी बनाई थी।

नई दिल्लीAug 29, 2017 / 11:45 am

manish ranjan

Budget

नई दिल्ली। अंग्रेजो के जमाने से चलते आ रहे अप्रैल से मार्च तक के वित्त वर्ष में कोई बदलाव नहीं होग। लगभग 150 वर्षों से चलती आ रही इस परंपरा को सरकार बदलकर जनवरी से दिसंबर करने की सोच रही थी और उसके लिए एक समिति भी बनाई थी। 21 जुलाई को एक सवाल के जवाब में वित्त मंत्री अरूण जेटली ने यह बताया कि वित्त वर्ष बदलने के लिए सरकार विचार कर रही है। हालांकि, एक बड़े सरकारी के अनुसार, वित्त वर्ष 2018-19 के लिए यह बदलाव फिलहाल संभव नहीं है। इस साल से वित्त वर्ष में बदलाव किया गया तो इसका मतलब है कि बजट को अक्टूबर के अंत या नवंबर की शुरूआत में पेश करना पड़ेगा, जो कि अभी संभव नहीं हैं।


नोटबंदी और जीएसटी के बाद कंपनियों के व्यापार पर पड़ सकता है असर

अभी इसी वर्ष अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के रूप में बड़ा बदलाव लाया गया है। अभी इसे पूरी तरह से सेटल होने मे थोड़ा समय दिया जाना चाहिए। जीएसटी से पहले पिछले साल नवंबर में सरकार ने नोटबंदी भी किया था। अर्थव्यवस्था को लेकर सरकार के इन दोनों कदमों का छोटी बड़ी सभी कंपनियों पर असर पड़ा है। ऐसे में वित्त वर्ष में बदलाव करने से इन कंपनियों के साथ-साथ सरकार की भी परेशानी बढ़ सकती हैं।


समिति को प्रस्ताव संतोषजनक नहीं लगा

कुछ जानकारों का मानना है कि 2019 में होने वाले अगले लोकसभा चुनाव से पहले सरकार इसमें कोई बदलाव नहीं करना चााहेगी। हालांकि वित्त वर्ष के दिसंबर से जनवरी करने पर सबकी अलग-अलग राय सामने आ रही है। आपको बता दें कि पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार शंकर आचार्य की अगुवाई में जुलाई 2016 में इसके लिए एक समिति बनाई गई थी। लेकिन इस समिमि को यह प्रस्ताव संतोषजनक नहीं लगा।्र्र


निति आयोग वित्त वर्ष बदलने के पक्ष में

इसके उलट निति आयोग ने सुझाव दिया था कि वित्त वर्ष में बदलाव होना चाहिए। निति आयोग ने इसके लिए कहा था कि मौजूदा वित्त वर्ष में वर्किंग सीजन का पूरा फायदा उठाना संभव नहीं है। आयोग ने यह भी कहा था कि, दूसरे देशों में जनवरी से दिसंबर का वित्त वर्ष होता है। अगर भारत में भी इसे अपनाया जाता है तो इससे डाटा कलेक्शन पर पॉजिटिव इम्पैक्ट होगा। एक संसदीय समिति ने भी वित्त वर्ष अप्रैल से मार्च के बजाय जनवरी से दिसंबर करने पर अपना सुझाव दिया था।

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