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कर्ज माफ करके नहीं बल्कि ऐसे किसानों की समस्या दूर करेगी सरकार, इनकम ट्रांसफर स्कीम की होगी शुरुआत

locationनई दिल्लीPublished: Jan 02, 2019 10:54:12 am

Submitted by:

Dimple Alawadhi

सरकार का मानना है कि किसानों का कर्ज माफ करने से उनकी समस्याएं दूर नहीं होंगी। सरकार का कहना है कि फसल की कीमत में गिरावट से परेशान किसानों की सहायता के लिए मिनिमम सपोर्ट प्राइज (MSP) की व्यवस्था में और बदलाव करने की जरूरत है।

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कर्ज माफ करके नहीं बल्कि ऐसे किसानों की समस्या दूर करेगी सरकार, इनकम ट्रांसफर स्कीम की होगी शुरुआत

नई दिल्ली। सरकार का मानना है कि किसानों का कर्ज माफ करने से उनकी समस्याएं दूर नहीं होंगी। सरकार का कहना है कि फसल की कीमत में गिरावट से परेशान किसानों की सहायता के लिए मिनिमम सपोर्ट प्राइज (MSP) की व्यवस्था में और बदलाव करने की जरूरत है। इसके अतिरिक्त सरकार खेती से कम आमदनी की भरपाई करने के लिए डायरेक्ट इनकम ट्रांसफर के बारे में भी सोच रही है। 2019 के आम चुनाव करीब आने वाले हैं। ऐसे में किसानों की सहायता के लिए सरकार एक योजना तैयारी कर रही है, जिसका मकसद फसल की कीमत में गिरावट से परेशान किसानों की सहायता करना होगा। सरकार चाहती है कि केंद्रीय स्तर से कर्ज माफी करने के बजाय कुछ ऐसा किया जाए, जिससे खेती-बाड़ी का संकट दूर हो और इस सेक्टर में निवेश बढ़े।


इनकम ट्रांसफर स्कीम की हो सकती है शुरुआत

सरकारी नीतियां बनाने वालों का ज्यादा जोर ऐसी टारगेटेड स्कीम पर है, जो किसानों को तत्काल कुछ राहत दे सके और कृषि अर्थव्यवस्था में निवेश बढ़ा सके। गरीब किसानों के लिए इनकम ट्रांसफर स्कीम भी शुरू की जा सकती है। तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की हार और उन राज्यों की कांग्रेस सरकारों के कृषि कर्ज माफी की घोषणाओं को देखते हुए ऐसा कदम राजनीतिक रूप से ज्यादा स्वीकार्य हो सकता है। इनकम ट्रांसफर पर फोकस वाली योजना से सरकारी खजाने पर दबाव आएगा। फिस्कल डेफिसिट के इस साल जीडीपी (GDP) के 3.5 फीसदी पर रोकने का टारगेट सरकार ने तय किया है और वित्त वर्ष 2021 तक इसे 3 फीसदी पर लाने का लक्ष्य है। इनकम ट्रांसफर स्कीम तेलंगाना की रैयत बंधु योजना की तरह हो सकती है, जिसमें खेत रखने वाले सभी किसानों केा 4000 रुपए प्रति एकड़ दिए जाते हैं। झारखंड और ओडिशा ने भी यही राह पकड़ी है, लेकिन यह बहस तेज हो रही है कि किसानों की मदद करने का सबसे अच्छा तरीका क्या हो सकता है।


लिबरल स्कीम पर कर रहे हैं विचार

एसबीआई रिसर्च द्वारा दिए गए सुझाव के अनुसार, 21.6 करोड़ छोटे और सीमांत किसानों को दो किस्तों में हर साल 12 हजार रुपए प्रति परिवार दिए जा सकते हैं। इस तरह सरकारी खजाने से कुल 50000 करोड़ रुपए निकलेंगे। यह रकम मनरेगा (MNREGA) पर खर्च होने वाले पैसे के लगभग बराबर है। इस संदर्भ में एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि, ‘डायरेक्ट इनकम ट्रांसफर के लिए ज्यादा आंकड़े चाहिए।’ उन्होंने कहा कि यह भी देखना होगा कि बेनेफिट्स गरीब किसानों को ही मिले। केंद्र सितंबर 2018 में संशोधित मिनिमम सपोर्ट प्राइस स्कीम की घोषणा कर चुका है, लेकिन एक ज्यादा लिबरल स्कीम पर भी विचार किया जा रहा है। इसमें तत्कालीन बाजार भाव कम होने पर किसान को वह रकम मिल सकेगी, जो मिनिमम सपॉर्ट प्राइस और बाजार भाव का अंतर होगी।

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